सीआइडी के निशाने पर आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारी

इंडियन टेक्नोमेक कंपनी का हिमाचल प्रदेश में घोटाला सामने आने पर कंपनी ने सभी जगह अपनी शाखाएं बंद कर कारोबार समेट लिया।

By Edited By: Publish:Tue, 30 Oct 2018 05:05 PM (IST) Updated:Wed, 31 Oct 2018 03:01 AM (IST)
सीआइडी के निशाने पर आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारी
सीआइडी के निशाने पर आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारी

शिमला, रमेश सिंगटा। सिरमौर जिला के पांवटा साहिब में इंडियन टेक्नोमेक कंपनी में हुए छह हजार करोड़ रुपये से अधिक के कर कर्ज महाघोटाले में सीआइडी के निशाने पर अब आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारी हैं। जांच एजेंसी संदिग्ध आरोपितों के करीब पहुंच गई है। सूत्रों के अनुसार सहायक आबकारी एवं कराधान अधिकारी (एईटीओ) रैंक के तीन अधिकारियों को कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है।

जांच में पता चला है कि इंडियन टेक्नोमेक कंपनी के फर्जीवाड़े में इन अधिकारियों की भी संलिप्तता रही है। टेक्नोमेक कंपनी का देशभर के कई राज्यों में नेटवर्क था। लेकिन हिमाचल प्रदेश में घोटाला सामने आने पर कंपनी ने सभी जगह अपनी शाखाएं बंद कर कारोबार समेट लिया। घोटाले का पैसा विदेश में निवेश किया गया। मनी लॉंड्रिंग से जुड़े इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है। प्रदेश सरकार की सिफारिश पर ही यह मामला ईडी के पास पहुंचा था। यह घोटाला राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में भी गूंजा था। सीआइडी ने इस मामले में 16 बैंकों का करीब 1600 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड कब्जे में लिया है।

यह पैसा नॉन परफॉर्मिग एसेट (एनपीए) घोषित किया गया है। कंपनी को उत्पादन के फर्जी आंकड़े दिखाने के आधार पर आंख मूंदकर इतना अधिक कर्ज बैंकों ने कैसे दे दिया, इसकी भी जांच हो रही है। यह पैसा आम खाताधारकों का डकारा गया है। सीआइडी ने सीबीआइ के माध्यम से मुख्य आरोपित का लुकआउट नोटिस जारी किया है। कई और संदिग्धों का लुकआउट नोटिस जारी करने की तैयारी है। मुख्य आरोपित राकेश कुमार शर्मा विदेश भाग गया है। वह जांच एजेंसियों के हत्थे नहीं चढ़ पाया है। इस मामले में कंपनी के कई पूर्व अधिकारियों व निदेशकों को गिरफ्तार किया गया है। करों की हो रही थी चोरी आबकारी एवं कराधान विभाग की आर्थिक सतर्कता टीम ने 18 फरवरी 2014 को कंपनी के दस्तावेज जांचे थे।

उस दौरान पाया गया कि जबसे पांवटा में कंपनी की शुरुआत हुई, तब से ही करों की चोरी हो रही थी। शुरू में 72 करोड़ रुपये की चोरी पकड़ी गई थी। घोटाले का पर्दाफाश आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारी गणेश ठाकुर ने किया था। कंपनी पर भारी पेनल्टी लगाई गई। करों व पेनल्टी की राशि 2200 करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी। कंपनी पहले अपीलीय प्राधिकरण और बाद में हाईकोर्ट गई मगर दोनों जगह हार गई। सुप्रीम कोर्ट से भी कंपनी को राहत नहीं मिल पाई थी।

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