जांची जाएगी दो पूर्व सरकारों की कार्यप्रणाली

ब्रेकल विवाद ने सरकारों के कई राज बेपर्दा होंगे। सूत्रों के अनुसार इस मामले में दो पूर्व सरकारों की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ गई है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 04 Aug 2019 07:56 PM (IST) Updated:Sun, 04 Aug 2019 07:56 PM (IST)
जांची जाएगी दो पूर्व सरकारों की कार्यप्रणाली
जांची जाएगी दो पूर्व सरकारों की कार्यप्रणाली

रमेश सिगटा, शिमला

ब्रेकल विवाद में पूर्व सरकारों के कई राज बेपर्दा होंगे। सूत्रों के अनुसार इस मामले में दो पूर्व सरकारों की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ गई है। आरोप है कि 960 मेगावाट के बड़े पावर प्रोजेक्ट को हथियाने के लिए नीदरलैंड की कंपनी के साथ हिमाचल सरकार के अफसरों ने भी खेल खेला। पूर्व वीरभद्र सरकार में फर्जी दस्तावेजों के सहारे प्रोजेक्ट का आवंटन करवा लिया। इसके बाद पूर्व धूमल सरकार में विजिलेंस ने एफआइआर दर्ज करने की अनुमति मांगी, लेकिन जांच एजेंसी की सिफारिश को दरकिनार कर दिया गया।

सूत्रों के मुताबिक तत्कालीन सरकार की गठित कमेटी ऑफ सेक्रेटरी से भी पूछताछ होगी। इसमें धूमल सरकार के शीर्ष नौकरशाह भी शामिल थे। उन्होंने एक तरह से ब्रेकल कंपनी का पक्ष लिया था। कमेटी ने कहा था कि कंपनी को आवंटित जंगी थोपन प्रोजेक्ट रद करना उचित नहीं है। उन्होंने पूर्व वीरभद्र सरकार के पक्ष की ही कहीं न कहीं पैरवी की। हालांकि धूमल सरकार इसे रद करना चाहती थी। बाकायदा विजिलेंस ने जांच करवाई गई तो पता चला कि ब्रेकल ने प्रोजेक्ट पाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए। बावजूद इसके एफआइआर दर्ज करने की अनुमति नहीं दी, जबकि विजिलेंस ने बार-बार आग्रह किया था। पूरे प्रकरण में अडानी समूह की भूमिका भी अब जांच के दायरे में होगी। ब्रेकल ने 280 करोड़ अपफ्रंट मनी जमा करवाया था। मौजूदा सरकार इसे वापस देने से साफ इंकार कर रही है। कंपनी ने किया गड़बड़झाला

ब्रेकल पर घपलेबाजी करने का आरोप है। इसी कारण हाईकोर्ट ने उसे इसका आवंटन रद कर दिया था। अपफ्रंट मनी जब्त हो गया था। सरकार ने यह जब्ती ब्रेकल की ओर से जमा हुई रकम में से की थी। ऐसे में अडानी को यह रकम ब्रेकल से लेनी है न कि सरकार से। इसी रुख पर जयराम सरकार कायम है। वह 280 करोड़ वापस नहीं करेगी। नीदरलैंड की कंपनी ब्रेकल किसके दम पर खड़ी हो गई और उसने किसके दम पर घपलेबाजी कर बड़ा प्रोजेक्ट ले लिया, कपंनी ने हाइडल पावर में कितना काम किया है, इन सब की नए सिरे से जांच होगी।

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