कडे़ मुकाबले में घिरे वीरभद्र सरकार के पांच मंत्री

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल में पिछले कुछ विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर में कई मंत्रियों को ह

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Dec 2017 05:30 PM (IST) Updated:Wed, 13 Dec 2017 05:30 PM (IST)
कडे़ मुकाबले में घिरे वीरभद्र सरकार के पांच मंत्री
कडे़ मुकाबले में घिरे वीरभद्र सरकार के पांच मंत्री

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल में पिछले कुछ विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर में कई मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है। इस बार भी वीरभद्र सरकार के कुछ मंत्रियों की हालत पतली है। सरकार के पांच मंत्री कडे़ मुकाबले में घिरे हैं। इसके सबके पीछे पारिवारिक कारण भी अधिक जिम्मेदार बताए जा रहे हैं। ऐसी भी चर्चाएं हैं कि मंत्री का व्यवहार तो अच्छा था, लेकिन उनकी पत्नी, बेटा-बेटी भी स्वयं को मंत्री से कम नहीं समझते थे। हालांकि मंत्रियों का हारना कोई नई बात नहीं है।

पूर्व भाजपा सरकार में भी चार मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा था। हालत यह है कि विधानसभा के लिए मतदान के बाद हर रोज प्रदेश में नई सरकार बन और गिर रही है। चुनाव परिणाम आने में अब एक सप्ताह शेष रह गया है। इसलिए विधानसभा चुनाव में उतरे कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों के साथ-साथ प्रदेश के लोगों की भी परिणाम को लेकर उत्सुकता बढ़ती जा रही है।

हालांकि विधानसभा चुनाव प्रचार में इस बार मतदाताओं की चुप्पी अंतिम समय तक रही। चेहरा पहचान कर लोगों को पढ़ने वाले नेता भी परेशान थे।

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ये मंत्री हैं जनता की नजर में

प्रदेश सरकार के पांच मंत्री जनता की नजर में हैं। तीन मंत्री कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से बताए जा रहे हैं। दो मंत्री मंडी संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं।

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अनिल भाजपाई हुए तो स्टोक्स तकनीकी पेंच में फंसी

वर्तमान वीरभद्र सरकार के मंत्री अनिल शर्मा ने मौके की नजाकत समझते हुए भाजपा का दामन थाम लिया था। लेकिन सरकार की सबसे वरिष्ठ मंत्री विद्या स्टोक्स ने पहले तो राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की, लेकिन नाटकीय ढंग से बाद में चुनाव मैदान में उतरने का निर्णय लिया था। फिर उनका नामांकन तकनीकी खामी के कारण रद हो गया था।

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कांग्रेस के छह मंत्री हारे थे

पूर्व कांग्रेस सरकार में छह मंत्री पराजित हुए थे। हारने वालों में आशा कुमारी, रंगीला राम राव, रामलाल ठाकुर, कुलदीप कुमार, राजकृष्ण गौड़ व सुजान सिंह पठानिया शामिल थे। उस समय गंगूराम मुसाफिर विधानसभा अध्यक्ष थे, उन्हें भी पराजय का मुंह देखना पड़ा था। यदि गंगूराम की हार को भी शामिल कर लिया जाए तो सात जिलों में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा था।

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भाजपा के चार मंत्री हारे थे

पूर्व भाजपा सरकार के चार मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा था। मंत्रियों के हारने का कारण जनता का गुस्सा रहा था। मंत्री रहते हुए हारने वालों में किशन कपूर, रमेश धवाला, पंडित खीमी राम व नरेंद्र बरागटा थे।

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