आइजीएमसी आएं तो थर्मामीटर साथ लाएं

दिन मंगलवार समय सुबह 11 बजे जागरण संवाददाता, शिमला : इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजी

By Edited By: Publish:Wed, 14 Sep 2016 01:04 AM (IST) Updated:Wed, 14 Sep 2016 01:04 AM (IST)
आइजीएमसी आएं तो थर्मामीटर साथ लाएं

दिन मंगलवार

समय सुबह 11 बजे

जागरण संवाददाता, शिमला : इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) शिमला का आपातकालीन विभाग। मरीज पर्ची काउंटर से पर्ची लेकर डॉक्टर को दिखाता है। डॉक्टर पूछता है कि क्या हुआ। तपते वदन के साथ मरीज रोग बताता है। डॉक्टर दवाई लिख देता है और इन्हें खाने की सलाह देता है। मरीज के साथ मौजूद तीमारदार डॉक्टर को बुखार जांचने के लिए कहता है तो डॉक्टर जवाब देता है कि थर्मामीटर नहीं है, नर्स के पास जाओ। वह बुखार चेक करेगी। नर्स के पास जाने पर नर्स कहती है, यहां पर थर्मामीटर नहीं है, बाजार से खरीदकर लाना पड़ेगा। मरीज इधर-उधर चक्कर काटकर दवाई लेकर सीधे घर चला जाता है।

आइजीएमसी के आपातकालीन विभाग के यह हाल हैं कि बुखार जांचने के लिए थार्मामीटर तक नहीं है। बिना बुखार जांचे चिकित्सक दवाई मरीजों को दे रहे हैं। सीधे तौर पर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है, जबकि अधिक बुखार होने की स्थिति में डॉक्टर ही सलाह देते हैं कि दवाई न खाएं और पट्टी लगाकर शरीर को ठंडा करें। जब बुखार जांचने के लिए आपातकालीन विभाग में थर्मामीटर ही नहीं है तो बुखार कितना है, मरीज को दवाई खानी चाहिए या नहीं कैसे पता लगेगा।

वैसे तो आपातकालीन विभाग तुरंत सेवा प्रदान करने के लिए है। लेकिन यहां पर पहुंच कर मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बेहतर स्वास्थ्य सेवा के दावे करने वाले आइजीएमसी में एक थर्मामीटर तक मरीजों के लिए उपलब्ध नहीं हो रहा है। बाजार से 50 रुपये खर्च कर मरीजों को स्वयं ही थर्मामीटर लाना पड़ता है। ऐसी हालत ने आइजीएमसी प्रशासन की पोल खोलकर रख दी है।

सभी लोग अपना थर्मामीटर खरीद कर लाते हैं। आइजीएमसी के आपातकालीन वार्ड में थर्मामीटर रखे जाते थे। लेकिन लोग इसे इस्तेमाल नहीं करते थे और अपना ही थर्मामीटर खरीद कर लाते हैं। इसीलिए अब यहां पर थर्मामीटर रखने बंद कर दिए हैं।

डॉ. रमेश, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक, आइजीएमसी, शिमला

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