सस्ती बिजली फिर नहीं मिल रहे खरीददार

By Edited By: Publish:Fri, 19 Sep 2014 01:35 AM (IST) Updated:Fri, 19 Sep 2014 01:35 AM (IST)
सस्ती बिजली फिर नहीं मिल रहे खरीददार

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश में बिजली के दाम गिरकर 3.65 पैसे पर पहुंच गए हैं। बिजली सस्ती होने के कारण प्रदेश सरकार को खरीददार नहीं मिल रहे हैं। उधर, उत्तर भारत के सभी राज्यों में बिजली कट से जनता बुरी तरह से जूझ रही है। बावजूद इसके पड़ोसी राज्य बिजली खरीदना नहीं चाहते हैं। फिलहाल सरकार बिजली बैंकिंग में दे रही है। इस साल गर्मियों में बर्फ लगातार पिघलती रही। ऐसे में सरकार के पास करीब 200 मैगावाट सरप्लस बिजली है। सामान्य तौर पर हिमाचल आठ हजार मैगावाट विद्युत उत्पादन करने की क्षमता रखता है। अब ऊर्जा निदेशालय के अधिकारियों की टीम बिजली के खरीददार ढूंढने में लगी हुई हैं। सभी राज्यों के साथ संपर्क किया जा रहा है। अभी तक प्रदेश में उत्पादित बिजली का सरकार को छह रुपये प्रति यूनिट मूल्य हाथ में आ रहा था। जैसे ही मानसून ने जोर पकड़ा सभी राज्यों ने बिजली खरीदने से हाथ खींच लिए।

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कम सिल्ट के कारण बढ़ा उत्पादन

मानसून सीजन में देखा गया कि सतलुज व ब्यास बेसिन पर स्थित सभी परियोजनाओं में सिल्ट कम होने से विद्युत का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ। दूसरे राज्यों में भी विद्युत उत्पादन में सुधार आया। पंजाब सरकार को भाखड़ा बांध परियोजना से बिजली उत्पादन में बड़ी राहत मिली। वरना हर साल सिल्ट के कारण परियोजना काफी समय तक बाधित रहती थी।

कम हो गई कमाई

सर्दियों में बर्फ जमने से नदियों में पानी कम आता है। उस अवधि में सरकार को दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। हालत यह है कि एक समय 1400 करोड़ रुपये बिजली बेचकर सरकार कमाती थी। अब सालाना कमाई बढ़ने के बजाए 800-900 करोड़ रुपये के बीच में रहती है।

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सरकार खुले बाजार में बिजली बेचने के लिए जाती है। उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल व दिल्ली बिजली के बडे़ खरीददार हैं। इस बार भले ही ऐसा कहा जा रहा है कि मानसून कम रहा है मगर विद्युत उत्पादन की दृष्टि से अच्छा रहा है। प्रदेश में भी उत्पादन बढ़ा है। सबसे बड़ी नाथपा झाकड़ी परियोजना कुछ दिन ही बाधित रही।

-आरडी नजीम, निदेशक ऊर्जा विभाग।

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