लोग फिर चखेंगे बायला की बासमती का स्वाद

संवाद सहयोगी सुंदरनगर लोगों के घर फिर बायला बासमती चावल से महकेंगे। लोग फिर मंडी जिले

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 Jan 2022 10:50 PM (IST) Updated:Sat, 08 Jan 2022 10:50 PM (IST)
लोग फिर चखेंगे बायला की बासमती का स्वाद
लोग फिर चखेंगे बायला की बासमती का स्वाद

संवाद सहयोगी, सुंदरनगर : लोगों के घर फिर बायला बासमती चावल से महकेंगे। लोग फिर मंडी जिले के बायला क्षेत्र की बासमती का स्वाद चख पाएंगे। चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने गेहूं व धान अनुसंधान केंद्र मलां कांगड़ा और कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) सुंदरनगर के विज्ञानियों को बायला बासमती पर अनुसंधान करने के निर्देश दिए थे। अनुसंधान कार्य पूर्ण होने पर क्षेत्र में बासमती की पैदावार को लेकर भी कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

बायला क्षेत्र में करीब 50 हेक्टेयर भूमि में बासमती की पैदावार होगी। विज्ञानी बायला क्षेत्र की मिट्टी की जांच भी करेंगे कि क्यों इसकी पैदावार कम हुई। पैदावार कम होने की वजह से किसानों का बासमती की खेती से मोह भंग हुआ और अब यह क्षेत्र में लगभग न के बराबर है। कृषि विश्वविद्यालय द्वाराबायली बासमती की रजिस्ट्रेशन और जीआइ टैगिग भी करवाई जाएगी, ताकि इसे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले।

बासमती की पैदावार के लिए प्रसिद्ध बायला गांव के लोगों ने कम पैदावार के चलते इसे उगाना बंद कर दिया है। अब मिट्टी की जांच के दौरान उन सभी बातों का विशेष ध्यान रखा जाएगा, जिस वजह से इसकी पैदावार में कमी आई है। सभी विज्ञानी तथ्य जानने और क्षेत्र में फिर से खेती शुरू होने पर समूची 50 हेक्टेयर भूमि पर एक सीजन में करीब 1500 क्विंटल बासमती की पैदावार होगी।

कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति डा. हरेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि बायला क्षेत्र बायला बासमती के नाम से प्रख्यात रहा है। यह खेद का विषय है कि कम पैदावार के कारण किसानों ने इसे उगाना बंद कर दिया है। इसकी पैदावार बढ़ाने के लिए विज्ञानियों को बायला बासमती पर अनुसंधान करने को कहा है। इसकी खेती फिर से होने पर उन्होंने कहा कि इससे जिला मंडी के साथ-साथ प्रदेश व देश का नाम रोशन होगा और साथ ही इस क्षेत्र के लोगों को लाभ व उनकी आर्थिकी सुदृढ़ होगी।

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