Loksabha Election 2019 : हाईप्रोफाइल सीट पर टिकट को लेकर हाईवोल्टेज ड्रामा

high voltage drama for High profile seat मंडी संसदीय क्षेत्र में भाजपा के लिए टिकट की जंग चुनावी जंग से बड़ी बनती जा रही है।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Thu, 21 Mar 2019 10:43 AM (IST) Updated:Thu, 21 Mar 2019 10:43 AM (IST)
Loksabha Election 2019 : हाईप्रोफाइल सीट पर टिकट को लेकर हाईवोल्टेज ड्रामा
Loksabha Election 2019 : हाईप्रोफाइल सीट पर टिकट को लेकर हाईवोल्टेज ड्रामा

मंडी, हंसराज सैनी। मंडी संसदीय क्षेत्र में भाजपा के लिए टिकट की जंग, चुनावी जंग से बड़ी बनती जा रही है। हाईप्रोफाइल सीट पर टिकट को लेकर हाई वोल्टेज ड्रामा अब भी जारी है। टिकट के चाहवानों ने भाजपा नेतृत्व की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। टिकट को लेकर आए दिन कोई न कोई नया दावेदार सामने आ रहा है। इससे सबसे ज्यादा अनुशासित पार्टी माने जाने वाली भाजपा की जमकर किरकिरी हो रही है। टिकट को लेकर भाजपा में पहली बार इस तरह का घमासान देखने को मिल रहा है। अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं, उनमें किसी भी कार्यकर्ता या नेता ने पार्टी प्लेटफार्म से हटकर सार्वजनिक मंच से टिकट मांगने की हिम्मत नहीं की है। कई बार तो खुद भाजपा नेतृत्व ने घर जाकर टिकट दिया है। अदन ङ्क्षसह ठाकुर इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।

सरकारी नौकरी से इस्तीफा दिलाकर भाजपा ने उन्हें 1996 में मंडी क्षेत्र से टिकट दिया था। वह अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष थे। 2014 के चुनाव में टिकट की दौड़ में अजय राणा, रामस्वरूप शर्मा, बिग्रेडियर खुशाल ठाकुर शामिल थे लेकिन तीनों ने सार्वजनिक मंच से कभी टिकट की मांग नहीं की थी। अंतिम क्षणों तक तीनों टिकट की दौड़ में थे। बाजी रामस्वरूप शर्मा के हाथ लगी थी। अजय राणा व बिग्रेडियर खुशाल ठाकुर ने पार्टी का फैसला सिर माथे कबूल करते हुए चुनाव में रामस्वरूप शर्मा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया था।

टिकट को लेकर विवाद खड़ा करने में विधानसभा चुनाव के समय भाजपा में शामिल हुए पंडित सुखराम परिवार का सबसे बड़ा हाथ है। अक्टूबर में पड्डल मैदान में आयोजित पन्ना प्रमुख सम्मेलन में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती व गृह मंत्री राजनाथ ङ्क्षसह के मुंह से रामस्वरूप शर्मा दोबारा प्रत्याशी होने की बात क्या निकली। अगले ही दिन से पंडित सुखराम के परिवार ने बवाल मचाना शुरू कर दिया था। तब से टिकट को लेकर हाय तौबा मचा रखी है। उनकी देखादेखी में अन्य नेता भी सार्वजनिक मंच से टिकट की दावेदारी जताते फिर रहे हैं। हैरानीजनक तो यह है कि जयराम सरकार के काबीना मंत्री अनिल शर्मा खुद सार्वजनिक तौर पर इस बात को कबूल कर रहे हैं कि उनके बेटे आश्रय शर्मा को कांग्रेस के टिकट की ऑफर भी है। टिकट को लेकर मचे घमासान से कार्यकर्ता भी खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। नेताओं के समर्थकों के अलावा आम कार्यकर्ता ने चुप्पी साध रखी है।

पार्टी के सच्चे सिपाही नहीं जताते दावा

पार्टी के सच्चे सिपाही टिकट को लेकर दावा नहीं जताते हैं, बल्कि निवेदन करते हैं। निवेदन स्वीकार या अस्वीकार करना पार्टी के अधिकार क्षेत्र में आता है। दावा जताने वाले कभी पार्टी के हितैषी नहीं हो सकते हैं। -महेश्वर सिंह, पूर्व सांसद मंडी क्षेत्र।

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