अब जानलेवा नहीं होगा सर्वाइकल कैंसर, घर बैठे हो सकेगी पहचान

आइआइटी मंडी के शोधकर्ताओं ने सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए एक पोर्टेबल डिवाइस बनायी है जिससे घर बैठे ही इसकी प्रारंभिक अवस्था का पता लगाया जा सकता है।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Thu, 28 Nov 2019 07:45 AM (IST) Updated:Thu, 28 Nov 2019 07:45 AM (IST)
अब जानलेवा नहीं होगा सर्वाइकल कैंसर, घर बैठे हो सकेगी पहचान
अब जानलेवा नहीं होगा सर्वाइकल कैंसर, घर बैठे हो सकेगी पहचान

मंडी, जेएनएन। महिलाओं में सर्वाइकल (गर्भाश्य ग्रीवा) कैंसर का प्रारंभिक अवस्था में घर बैठे ही पता चल सकेगा। समय रहते इलाज होने से यह बीमारी महिलाओं के लिए जानलेवा नहीं बनेगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए पोर्टेबल डिवाइस ईजाद किया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस डिवाइस सटीक तरीके से माइक्रोस्कोप की तस्वीरों का विश्लेषण करेगा। 

यह शोध आइआइटी के स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एवं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनिल साव व अर्नव भावसर के नेतृत्व में सृष्टि गौतम व क्रांति गुप्ता ने किया। इसे बेंगलुरु के एंद्रा सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से शुरू किया गया था। टीम ने उद्योग साझेदारों के साथ एआइ आधारित एल्गोरिद्म का विकास किया, जो डिवाइस को सर्वाइकल कैंसर की जांच करने में सक्षमता प्रदान करेगा। 

अभी पैप स्मीयर टेस्ट एकमात्र विकल्प

सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए अब तक पैप स्मीयर टेस्ट एकमात्र विकल्प है। इसमें विशेषज्ञ गर्भाश्य के मुख्य द्वार की कोशिका निकालकर माइक्रोस्कोप से जांचते हैं। शोध के अनुसार इस टेस्ट की एक्युरेसी 60 से 85 प्रतिशत के बीच है।

पैथोलॉजिस्ट की कमी दूर होगी

डिवाइस पैथोलॉजिस्ट की कमी की समस्या कम करने में भी मदद करेगी। यह पैप स्मीयर टेस्ट की जांच को स्वचालित करेगी। इससे पैथोलॉजिस्ट का काफी समय बचेगा। जांच का खर्च कम होगा और परिणाम अधिक सटीक होंगे।  

पोर्टेबल डिवाइस के लाभ

पोर्टेबल डिवाइस से मरीज की जांच घर में की जा सकेगी। डिवाइस के प्रोटोटाइप का क्लीनिकल परीक्षण किदवई मेमोरियल अस्पताल बेंगलुरु, मणिपाल अस्पताल कर्नाटक व राज राजेश्वरी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल बेंगलुरू में किया गया। प्रोटोटाइप की एक्युरेसी 88 प्रतिशत रही है।

प्री प्रोसेसिंग तकनीक का भी विकास

शोधकर्ताओं ने तस्वीरों में कोशिका का पता लगाने के लिए एक प्री प्रोसेसिंग तकनीक का भी विकास किया है। इन सेल्स को कन्वॉल्यूशन न्यूरल नेटवक्र्स में डाला जाता है ताकि कैंसर सेल्स का सटीक वर्गीकरण हो जाए।  

10 में से एक महिला पीड़ित

गर्भाश्य के मुख्य द्वार सर्विक्स में सेल्स की अनियमित वृद्धि को सर्वाइकल कैंसर कहा जाता है। यह सर्विक्स में हृयूमन पेपीलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है। दुनियाभर में 10 में से एक महिला इससे पीड़ित है। जानकारी के अभाव में यह बीमारी जानलेवा बनती जा रही है।

सस्ती होगी तकनीक

मैनुअल पैप स्मीयर टेस्ट की रिपोर्ट आने में समय लगता था। खर्च भी अधिक होता था। पोर्टेबल डिवाइस से जल्द रिपोर्ट मिलेगी। टेस्ट का खर्च भी कम आएगा और टेस्ट स्वचालित तरीके से होगा।

-डॉ. अर्नव भावसर, आइआइटी मंडी

 Benefit of walnut : वजन घटाने से लेकर डिप्रेशन तक में है मददगार

chat bot
आपका साथी