देवधुनों से सराबोर हुआ अठारह करडू की सौह

संवाद सहयोगी कुल्लू अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के छठे दिन शुक्रवार को अठारह करडू

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 07:24 PM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 07:24 PM (IST)
देवधुनों से सराबोर हुआ अठारह करडू की सौह
देवधुनों से सराबोर हुआ अठारह करडू की सौह

संवाद सहयोगी, कुल्लू : अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के छठे दिन शुक्रवार को अठारह करडू की सौह (ढालपुर) में देवी-देवताओं के मिलन (मुहल्ला) से ढोल नगाड़ों की स्वर लहरियों से माहौल देवमयी हो गया है। दशहरा उत्सव में आए सभी 14 देवी-देवता अपने शिविर से बाहर निकले और ढोल-नगाड़ों की थाप पर भगवान रघुनाथ जी के शिविर व नृसिंह की चनणी में उपस्थति दर्ज करवाई। जिला के अन्य सभी देवी-देवताओं ने फूल के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करवाई। जिन देवी-देवताओं के देवरथ आए थे उनके देवरथ व अन्य की ओर से फूल के माध्यम से रघुनाथ जी के रजिस्टर में हर वर्ष की तरह उपस्थिति दर्ज होने के बाद अठारह करडू देवी-देवताओं का महामिलन हुआ।

सबसे पहले रजिस्टर में राज परिवार की दादी माता हिडिबा का नाम दर्ज हुआ। देवी-देवताओं के इसी मिलन को मुहल्ला कहा जाता है। इस दौरान देवी-देवताओं के दशहरा उत्सव में रघुनाथ के दरबार में शक्ति का आह्वान हुआ। देवी हिडिबा से पुष्पगुच्छ जिसे शेश कहा जाता है, मिलने पर मुहल्ला पर्व शुरू हुआ। देवी-देवताओं से लिया गया शेश राजगद्दी पर बैठाए गए। राजा अपनी राजगद्दी को छोड़कर साधारण कुर्सी पर बैठे। इसके बाद शक्ति का आह्वान हुआ। परंपरा के अनुसार शक्ति रूपी ब्राह्मण ने रघुनाथ जी के समक्ष शेर की सवारी में नंगी तलवार से नाचते हुए अढ़ाई फेरे लगाए और लंका पर विजय के लिए शक्ति से रक्षा की अपील की। इसके अलावा देर सायं रघुनाथ भगवान के मंदिर में भी देव आयोजन हुआ।

दशहरा उत्सव के छठे दिन धूमधाम से राजा की जलेब संपन्न हुई। अंतिम दिन की जलेब में देवता लक्ष्मी नारायण और देवता जमदग्नि ऋषि ने एक साथ शिरकत की। कुल्लू के समस्त देवी-देवता रावण का सफाया करने के लिए मुहल्ला में एकत्र हुए और शक्ति का आह्वान करके सातवें दिन शनिवार को लंका पर चढ़ाई करेंगे।

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ये देवी-देवता ले रहे हैं भाग

राज परिवार की दादी माता हिडिबा, बिजली महादेव, पीज के जमदग्नि ऋषि, खोखन के आदि ब्रह्मा, रैला के लक्ष्मी नारायण, कुलदेवी माता त्रिपुरा सुंदरी नग्गर, ढालपुर के देवता वीरनाथ गौहरी इन सात देवी-देवताओं को उत्सव में बुलाया गया था। इसके अलावा पहले दिन नाग देवता धूंबल, मेहा के नारायण और डमचीन के वीरनाथ गौहरी, काथी कुकड़ी के हरि नारायण, दूसरे दिन ऊझी घाटी की देवी दुर्गा माता व तीसरे दिन फोजल से देवता वीरनाथ व छठे दिन सोयल से माता कोटली सहित अभी तक कुल 14 देवी-देवताओं के देवरथों ने उत्सव में शिरकत की।

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