प्रदेश केंद्रीय विश्‍वविद्यालय में आपदा, वन अग्नि प्रबंधन में युवाओं,पुलिस-समुदायों की भूमिका पर रखे विचार

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान गृह मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से आपदा और वन अग्नि प्रबंधन में युवाओं पुलिस और समुदायों की भूमिका पर तीन दिवसीय आनलाइन क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

By Richa RanaEdited By: Publish:Sat, 21 May 2022 03:01 PM (IST) Updated:Sat, 21 May 2022 03:01 PM (IST)
प्रदेश केंद्रीय विश्‍वविद्यालय में आपदा, वन अग्नि प्रबंधन में युवाओं,पुलिस-समुदायों की भूमिका पर रखे विचार
प्रदेश केंद्रीय विश्‍वविद्यालय में वन अग्नि प्रबंधन में युवाओं,पुलिस-समुदायों की भूमिका पर विचार रखे।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से "आपदा और वन अग्नि प्रबंधन में युवाओं, पुलिस और समुदायों की भूमिका" पर तीन दिवसीय आनलाइन क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में देश विदेश के लगभग 225 प्रतिभागियों ने पंजीकरण करवाया था। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्रो. डा. शबाब अहमद द्वारा किया गया। इस कार्यशाला के मुख्य संरक्षक विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल और संरक्षक ताज हुसैन, आइपीएस कार्यकारी निदेशक एनआईडीएम रहे।

कार्यक्रम का आरंभ सामाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष डा. शशि पूनम के स्वागत संभाषण के साथ हुआ। शिक्षण सत्र की शुरूआत पद्म भूषण से सम्मानित डा. अनिल प्रकाश जोशी, उत्तराखंड स्थित स्वयंसेवी संगठन, हिमालयन पर्यावरण अध्ययन एवं संरक्षण संगठन के संस्थापक द्वारा की गई, जिन्होंने प्रतिभागियों को खतरों, जोखिमों और भेद्यता विश्लेषण में समुदायों की भूमिकाओं के बारे में जागरूक किया, इसके बाद पुलिस की भूमिका पर दूसरा शिक्षण सत्र आयोजित किया गया जिसमें एसपी कांगड़ा, डा. खुशहाल शर्मा और डीएसपी हेडक्वार्टर बलदेव दत्त द्वारा समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा हुई। पहले दिन का कार्यक्रम डा. आशुतोष प्रधान, प्रोफेसर, समाज कार्य विभाग के समापन भाषण के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

दूसरे दिन की शुरूआत डा. दिग्विजय फुकन, सहायक प्रोफेसर, सामाज कार्य विभाग, सीयू द्वारा स्वागत भाषण से हुई। कार्यक्रम की संचालिका दिव्या, रिसर्च स्कालर रहीं। प्रथम मुख्य वक्ता प्रो. कौशल कुमार शर्मा, डीन, क्षेत्रीय विकास अध्ययन केंद्र, सामाजिक विज्ञान स्कूल, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली रहे। दिन का दूसरा तकनीकी सत्र अजय कुमार, जिला वन अधिकारी, मंडी (हिप्र) द्वारा लिया गया। दिन का तीसरा सत्र डा. सुनील कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख, पशु विज्ञान विभाग, हिप्रकेवि द्वारा किया गया। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन के कारणों, प्रभावों और रोकथाम के बारे में चर्चा की। उन्होंने अधिसूचित किया कि खनन और वनों की कटाई भूस्खलन के मुख्य कारण हैं और इसकी रोकथाम के लिए वृक्षारोपण की सिफारिश की। तीसरा दिन डा. शबाब अहमद, सहायक प्रोफेसर, समाज कार्य विभाग द्वारा स्वागत नोट के साथ शुरू हुआ।

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