पुलिस कर्मियों को बड़ी राहत, अनोखी शर्त से मिला छुटकारा

हिमाचल प्रदेश में पुलिस महकमे के कांस्टेबल पर लागू अनोखी शर्त से अब छुटकारा मिल गया है। जयराम सरकार ने चुनावी साल में बड़ी राहत दी है। हिमाचल पुलिस के 2015 के बाद भर्ती जवानों को अनुबंध कर्मचारियों के तर्ज पर नियमित कर्मचारियों के बराबर पे बैंड का लाभ मिलेगा।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Publish:Tue, 25 Jan 2022 09:09 PM (IST) Updated:Tue, 25 Jan 2022 09:09 PM (IST)
पुलिस कर्मियों को बड़ी राहत, अनोखी शर्त से मिला छुटकारा
पुलिस कर्मियों को बड़ी राहत, अनोखी शर्त से मिला छुटकारा।

शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश में पुलिस महकमे के कांस्टेबल पर लागू अनोखी शर्त से अब छुटकारा मिल गया है। जयराम सरकार ने चुनावी साल में बड़ी राहत दी है। हिमाचल पुलिस के 2015 के बाद भर्ती जवानों को अनुबंध कर्मचारियों के तर्ज पर नियमित कर्मचारियों के बराबर पे बैंड का लाभ मिलेगा।

प्रदेश में अनुबंध कर्मी पहले तीन साल में नियमित होते थे और इसके बाद दो साल का प्रोबेशन पीरियड होता था यानी कुल पांच साल के बाद पे बैंड मिलता था। अब सरकार ने अनुबंध कार्यकाल तीन से दो वर्ष कर दिया है। इस कारण यही लाभ पांच साल के बजाय चार साल में मिलेंगे। डीजीपी संजय कुंडू के मुताबिक 2015 के बाद भर्ती पुलिस जवानों को पांच साल के सेवाकाल के बाद पेबैंड मिलेगा, जबकि इस साल हो रही 1000 से अधिक पदों पर भर्ती के लिए चयनित जवानों को यही लाभ चार साल में मिल जाएंगे। हालांकि असली पता सरकार की ओर से आदेश जारी करने पर ही चल सकेगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सोलन में पूर्ण राज्यत्व दिवस के मौके पर इसकी घोषणा की है। प्रभावित जवान बेहद नाराज थे और कई दिन से रोष जता रहे थे।

गौरतलब है कि अभी प्रदेश पुलिस के करीब साढ़े पांच हजार जवानों को नौकरी पक्की, पर वेतन आधा अधूरा मिलता है। आठ साल से कांस्टेबल आठ साल की शर्त के फेर में फंसे हुए हैं। कांस्टेबल की भर्ती तो नियमित आधार पर होती है, लेेकिन वेतनमान अनुबंध कर्मी के बराबर मिलता है। राज्य पुलिस मुख्यालय ने इस मामले में आइजी सीटीएस एपी सिंह की अगुवाई में कमेटी गठित की। कमेटी ने रिपोर्ट हाल ही में सरकार को सौंप दी।

कब लगाई अनोखी शर्त

प्रदेश में पहले कांस्टेबल को नियमित जैसा ही वेतनमान मिलता था, लेकिन 2012 में अनोखी शर्त जोड़ी गई। इसे शर्त को कांग्रेस की तत्कालीन सरकार के वित्त विभाग ने 2013 से लागू कर दिया। इसके अनुसार कांस्टेबल का पद तो नियमित होगा, पर पूरे वेतनमान के लिए आठ साल तक इंतजार करना होगा। इसके बाद पुलिस कल्याण संघ ने गृह विभाग, डीजीपी को कानूनी नोटिस दिया। इस बीच 2015 में तत्कालीन सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में लिए फैसले के बाद 2013 के कांस्टेबल के बैच को तीन साल के सेवाकाल के बाद ही पे बैंड जारी कर दिया था। आदेश 2016 में जारी किए। इसके बाद के सभी बैच के लिए आठ साल की ही शर्त लगा दी। यह अब तक शर्त खत्म हो जाएगी।

'दैनिक जागरण' ने सबसे पहले उठाया था मामला

वेतनमान के लाभों से वंचित मामले को सबसे पहले 'दैनिक जागरण ' ने उठाया था। पिछले साल सितंबर में आठ साल के फेर में फंसे हजारों पुलिस कांस्टेबल शीर्षक से खबर प्रकाशित की। इसके बाद लगातार इनके हितों की आवाज उठाई।

chat bot
आपका साथी