ध्‍वनि प्रदूषण बिगाड़ रहा स्‍वास्‍थ्‍य, व्‍यवहार में आ रहा चिड़चिड़ापन; विभाग के पास व्‍यापक मापक यंत्र तक नहीं

Noise Pollution Effects आधुनिक जीवन शैली व पर्यावरण के प्रति बेरुखी आम आदमी के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Thu, 19 Dec 2019 03:40 PM (IST) Updated:Thu, 19 Dec 2019 03:40 PM (IST)
ध्‍वनि प्रदूषण बिगाड़ रहा स्‍वास्‍थ्‍य, व्‍यवहार में आ रहा चिड़चिड़ापन; विभाग के पास व्‍यापक मापक यंत्र तक नहीं
ध्‍वनि प्रदूषण बिगाड़ रहा स्‍वास्‍थ्‍य, व्‍यवहार में आ रहा चिड़चिड़ापन; विभाग के पास व्‍यापक मापक यंत्र तक नहीं

धर्मशाला, दिनेश कटोच। आधुनिक जीवन शैली व पर्यावरण के प्रति बेरुखी आम आदमी के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। संसाधन जोडऩे की होड़ में इंसान यह भूलता जा रहा है कि इनके दुष्प्रभाव किस कदर घातक साबित होंगे। जनसंख्या वृद्धि और शहरों में वाहनों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ शादी समारोहों में धड़ल्ले से डीजे के प्रयोग से ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। नियमों को ताक पर रखकर यह सब कुछ निरंतर हो रहा है।

हालांकि रात को 10 से सुबह 6 बजे के बीच ध्वनि प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन स्थिति इसके विपरीत है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में असहनीय ध्वनि को प्रदूषण का ही अंग माना है। इसका दुष्प्रभाव मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षियों एवं वनस्पतियों पर भी पड़ता है। अगर ध्वनि प्रदूषण को देखने के लिए उठाए कदमों की बात करें तो लाखों की जनसंख्या वाले कांगड़ा जिले में केवल एक ही ध्वनि मापक यंत्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास है। वर्ष 2011 की गणना के अनुसार 15,10,076 की जनसंख्या अब काफी बढ़ चुकी है। इन हालात में व्यवस्था शून्य ही है।

पुलिस विभाग के पास चार ही ही यंत्र हैं। हालांकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व पुलिस प्रशासन दोनों ही ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के लिए कदम तो उठा रहे हैं, लेकिन किसी के ऊपर पर भी ठोस रूप से जिम्मेदारी तय नहीं है और इसका लाभ नियमों को तोडऩे वाले लोग उठा रहे हैं।

क्या हैं मानक

ध्वनि की तीव्रता को मापने के लिए डेसीबेल इकाई निर्धारित की गई है। निंद्रावस्था में आसपास के वातावरण में 35 डेसीबेल से ज्यादा शोर नहीं होना चाहिए और दिन का शोर भी 45 डेसीबेल से अधिक नहीं होना चाहिए।

ध्वनि प्रदूषण के स्रोत

प्राकृतिक क्रियाओं के फलस्वरूप भी ध्वनि प्रदूषण होता है परंतु प्राकृतिक ध्वनि प्रदूषण अपेक्षाकृत अल्पकालीन होता है तथा हानि भी कम होती है। बढ़ता शहरीकरण, परिवहन (रेल, वायु, सड़क) व खनन के कारण शोर की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है। विवाह, धार्मिक आयोजनों, मेलों, पार्टियों में लाउड स्पीकर का प्रयोग और डीजे के चलन भी ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है।

ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभाव

ध्वनि प्रदूषण के कारण बोलने में व्यवधान, चिड़चिड़ापन व नींद में व्यवधान होता है। ध्वनि की तीव्रता जब 90 डीबी से अधिक हो जाती है तो लोगों की सुनने की क्षमता क्षीण हो जाती है। जो लोग लगातार पांच से 10 घंटे से अधिक समय शोर-शराबे के बीच गुजारते हैं उनकी 55 फीसद सुनने की क्षमता कम हो जाती है।  दीर्घ अवधि तक ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों में न्यूरोटिक मेंटल डिसार्डर हो जाता है। उच्च शोर के कारण मनुष्य को उच्च रक्तचाप, उतेजना, हृदय रोग, आंख की पुतलियों में खिंचाव, मानसिक तनाव व अल्सर जैसे रोग हो सकते हैं।

कैसे पाएं ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण

सड़कों के किनारे पौधे लगाकर ध्वनि प्रदूषण से बचा जा सकता है। हरे पौधे ध्वनि की तीव्रता को 10 से 15 डीबी तक कम कर सकते हैं। प्रेशर हॉर्न बंद किए जाएं, इंजन व मशीनों की मरम्मत लगातार व रात्रि इस बजे के बाद विशेषकर डीजे पर पूरी तरह से प्रतिबंध हो।

शिकायत आने पर पुलिस के सहयोग से ध्वनि प्रदूषण के मामलों की जांच की जाती है। बोर्ड के पास एक ध्वनि मापक यंत्र है। समय-समय पर औद्योगिक क्षेत्रों के साथ अन्य जगहों पर भी ध्वनि प्रदूषण की जांच की जाती है। -डॉ. आरके नड्डा, पर्यावरण अभियंता प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।

राजस्व एकत्रित करना ही मकसद नहीं है। पर्यावरण व लोगों की सुरक्षा के लिए वाहन चालकों को जागरूक भी किया जा रहा है। नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने का भी प्रावधान है। -डॉ. संजय कुमार धीमान, आरटीओ फ्लाइंग।

पुलिस व प्रशासन संयुक्त रूप से ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए कदम उठाता है। अगर ध्वनि प्रदूषण के लिए शिकायतें ज्यादा आ रही हैं तो प्रशासन विशेष अभियान भी चलाएगा। ध्वनि मापक यंत्रों की कमी का मामला सरकार के समक्ष रखा जाएगा। -राकेश प्रजापति, उपायुक्त।

जिला पुलिस के पास ध्वनि प्रदूषण की जांच के लिए चार मापक यंत्र हैं। पुलिस  नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कदम उठाती है। शिकायत आने पर संबंधित क्षेत्रों के थाना प्रभारियों को यह हिदायत दी है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें। -विमुक्त रंजन, एसपी कांगड़ा

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