हिमाचल में कम नहीं होगा न्यूनतम किराया

बसों का न्यूनतम किराया कम नहीं होगा। इसे पांच रुपये करने की मांग लगातार की जा रही है लेकिन सरकार अभी इसे कम करने के मूड़ में नहीं है। परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर ने बताया कि न्यूनतम किराया कम करने का विषय उनके ध्यान में नहीं है।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Publish:Thu, 30 Dec 2021 08:40 PM (IST) Updated:Thu, 30 Dec 2021 08:40 PM (IST)
हिमाचल में कम नहीं होगा न्यूनतम किराया
हिमाचल में कम नहीं होगा न्यूनतम किराया

शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश में बसों का न्यूनतम किराया कम नहीं होगा। अभी यह किराया सात रुपये है। इसे पांच रुपये करने की मांग लगातार की जा रही है, लेकिन सरकार अभी इसे कम करने के मूड़ में नहीं है। परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि न्यूनतम किराया कम करने का विषय उनके ध्यान में नहीं है। इस संबंध में अगर कोई मांग आएगी तो उसे सरकार के समक्ष प्रमुखता से उठाएंगे। इसे पांच रुपये करने के लिए फिलहाल परिवहन विभाग ने कोई भी प्रस्ताव तैयार नहीं किया है।

बकौल बिक्रम ठाकुर, जयराम सरकार कोविड संकटकाल के बावजूद हर वर्ग हो राहत दे रही है। कर्मचारियों के बाद बस व टैक्सी आपरेटर्स को सरकार ने राहत दी है। जहां तक न्यूनतम किराया कम करने की बात है इस संबंध में अभी कोई फैसला नहीं लिया जा रहा है।

कब- कब बढ़ा किराया

वर्ष 2020 में मंत्रिमंडल बैठक में 20 जुलाई को 25 फीसद किराया बढ़ाने का फैसला हुआ था। इसकी अधिसूचना जारी होने से न्यूनतम किराया सात रुपये हो गया था, यानी बस में तीन किलोमीटर की दूरी करने पर आपको को कम से काम सात रुपये चुकाने पड़ते हैैं। पहले पांच रुपये न्यूनतम किराया था। इसके अलावा सामान्य किराया पहाड़ी क्षेत्रों में प्रतिकिलोमीटर किराया एक रुपये 75 पैसे से बढ़कर 2 रुपये 19 पैसे हो गया और मैदानी इलाकों में एक रुपये 14 पैसे से बढ़कर एक रुपये 40 पैसे किया गया। इससे पहले मौजूदा सरकार सितंबर 2018 किराये में बढ़ोतरी कर चुकी है।

हिमाचल में वर्तमान किराये की दर 29 सितंबर 2020 से लागू है। इस संबंध में निजी बस आपरेटरों ने हड़ताल की थी और उसके अगले ही दिन सरकार ने बस किराये में 20 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। दोनों ही बार निजी बस आपरेटरों के दबाव पर किराया बढ़ाया था, लेकिन ईंधन पर वैट घटाया तो किराया कम नहीं किया। अब आपरेटरों को टैक्स में राहत के बाद किराये में कटौती की मांग लगातार उठ रही है।

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