चंड मुंड राक्षसों का किया था वध, मां चामुंड़ा महाकाली के रूप में हैं विद्यामान, जानिए पूरी कहानी

श्री चामुंडा भगवती की उत्पत्ति का इतिहास युगों-युगांतरों में भिन्न भिन्न रहा है। कहीं महाकाली को चामुंडा नाम से संवोधित किया जाता है तो कहीं कौशिकी से उत्पन्न चामुंडा है जिसने महाकाली चामुंडा के रूप में राक्षसों चंड व मुंड का वध कर चामुंडा नाम प्राप्त किया।

By Richa RanaEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 10:03 AM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 10:03 AM (IST)
चंड मुंड राक्षसों का किया था वध,  मां चामुंड़ा महाकाली के रूप में हैं विद्यामान, जानिए पूरी कहानी
महाकाली ने चामुंडा के रूप में राक्षसों चंड व मुंड का वध कर चामुंडा नाम प्राप्त किया था।

योल, सुरेश कौशल। श्री चामुंडा भगवती की उत्पत्ति का इतिहास युगों-युगांतरों में भिन्न भिन्न रहा है। कहीं महाकाली को चामुंडा नाम से संवोधित किया जाता है, तो कहीं कौशिकी से उत्पन्न चामुंडा है, जिसने महाकाली चामुंडा के रूप में राक्षसों चंड व मुंड का वध कर चामुंडा नाम प्राप्त किया।

ऐसा भी मत है कि रूरू दैत्य का वध करने से भी देवी मां को चामुंडा संज्ञा प्राप्त हुई। आदि काल से ही हिमाचल को देवभूमि होने की मान्यता प्राप्त है। यहीं पर शिव एवं शक्ति का निवास है। चंड मुंड राक्षकों का वध करने पर ही विश्व में चामुंडा देवी के रूप प्रसिद्ध हुईं हैं। जो भक्त जालंधर पीठ जा कर मंत्रादि से महेश्वरी की पूजा करता है उन्हें ही सिद्धि प्राप्त होती है।

1630 ईस्वी में राजा चंद्र भान की वीरता के कारनामे सुन जहांगीर ने तालुका राजगिरी में 52 गावों  का राज्य दिया। उसके समय से ही चामुंडा का निरंतर पूजन होता रहा। वहां से बाणा गंगा तट पर अपनी सर्वदा स्थिति रखने के लिए निवास करने की अनुमति अपने अनन्य भक्त को श्री चामुण्डा ने दी। जब तब से लेकर श्री चामुंडा भगवती का पिंडी का पूजन प्राचीन काल में होता रहा।

गांव के किसी भक्त को चामुंडा ने आदेश दिया था कि जिस पिंडी पर मेरा पूजन होता है। वहां मूर्ति स्थापना करो ।1905 के भूकंप में भी यह मंदिर नहीं गिरा। आरंभ में इसकी पूजा अर्चना भौजकी परिवार करता रहा है। फिर 4 मार्च 1994 के दौरान हिमाचल सरकार ने कमेटी को भग कर मंदिर अधिनियम 1984 के तहत सरकारी अधिग्रहण किया। तब से आज तक मंदिर न्यास तथा जिला प्रशासन ही मंदिर का संचालन करते रहे हैं ।

 चामुंडा नन्दिकेश्वर धाम की छवि जनमानस में एक सिद्धवरदायी है ।मोक्षदायी क्षेत्र के रूप में अंकित है ।यहां पर शिवनन्दिकेश्वर स्वंयभू  लिंग के रूप में प्रकट हुए हैं तथा चामुंडा माननीय रूप में अवस्थित है तथा उसके चरण उत्तर में स्थित है। चामुंडा की विधिवत पूजा अर्चना करने पर चार सिद्धिया अर्थात अर्थ, धर्म, काम , मोक्ष, की सहज प्राप्ति होती है ।

chat bot
आपका साथी