किराये में 50 फीसद वृद्धि के साथ सभी बसें चलाने की तैयारी, शिक्षण संस्थान बंद रखने का सुझाव
हिमाचल में परिवहन सेवाएं शुरू करनी की तैयारी हो गई है। लेकिन इसके लिए लोगों को जरा ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ सकती है।
शिमला, जेएनएन। हिमाचल में परिवहन सेवाएं शुरू करनी की तैयारी हो गई है। लेकिन इसके लिए लोगों को जरा ज्यादा जेब ढीली करनी पड़ सकती है। बस किराये में 50 फीसद वृद्धि की तैयारी है। परिवहन विभाग और हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के अधिकारियों ने सरकार को इस बारे में सुझाव दिया है। सुझाव से जुड़े प्रस्ताव में कहा गया है कि बसों की सेवाएं सौ फीसद लेनी होंगी। निजी और सरकारी दोनों पर यह फॉर्मूला लागू होगा।
पहले सरकार चाह रही थी कि सरकारी और निजी दोनों की सेवाएं 50 फीसद ली जाएं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। नए प्रस्ताव में सभी बसें चलेंगी, लेकिन सवारियां 50 फीसद ही बैठाई जाएंगी यानी ऑक्यूपेंसी 50 फीसद ही रहेगी, ताकि शारीरिक दूरी नियम का पालन अच्छी तरह से हो सके।
परिवहन विभाग का आकलन है कि सामान्य दौर में भी बसों की औसतन ऑक्यूपेंसी 75 फीसद ही रहती है। जब 50 फीसद सवारियां बैठाने का नियम लागू होगा तो उस सूरत में निजी बसों को केवल केवल 25 फीसद ही नुकसान होगा। इसे किराया बढ़ाकर पूरा किया जाएगा। निगम की बसों को भी नुकसान उठना पड़ेगा, उसकी भरपाई भी किराये से ही होगी।
जनता की जेब पर पड़ेगा बोझ
अगर किराया बढ़ता है तो जनता की जेब पर बोझ पड़ेगा। मौजूदा सरकार सितंबर 2018 किराये में बढ़ोतरी कर चुकी है। परिवहन विभाग ने 29 सितंबर से बढ़े हुए बस किराये को लागू करने की अधिसूचना जारी की थी। तब तर्क दिया था कि अरसे से किराया नहीं बढ़ा था। निजी बस ऑपरेटरों ने हड़ताल की थी। हड़ताल के दूसरे ही दिन सरकार झुक गई थी और किराये में 22 फीसद का इजाफा किया गया था। अब कोरोना वायरस के कारण प्रदेशभर में कफ्र्यू लगा है। इससे 54 दिन से बस सेवा बंद है।
प्रथम चरण में जिले के भीतर आरंभ होंगी सेवाएं
पहले चरण में बस सेवाएं जिले के अंदर आरंभ होगी, लेकिन लाभ सभी जिलों को मिलेगा। यानी जिस व्यक्ति ने शिमला से हमीरपुर जाना हो, वह सोलन जिले की सीमा तक पहली बस में, वहां से सोलन जिले में दूसरी बस से यात्रा करेगा। हर जिले की सीमा पर बसें उपलब्ध रहेंगी।
शिक्षण संस्थान बंद रहने का सुझाव
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने सरकार को यह भी सुझाव दिया है कि लॉकडाउन चार में भी शिक्षण संस्थानों को बंद रखा जाए। दफ्तरों में 33 फीसद से ज्यादा स्टाफ न बुलाया जाए। इससे बसों में सवारियां कम रहेंगी, तभी शारीरिक दूरी बनाए रखने में कामयाबी मिलेगी।
सरकारी और निजी दोनों बसों की सेवाएं ली जाएंगी। विभाग ने सुझाव दिया कि सवारियां 50 फीसद ही बैठाएं। निजी बस ऑपरेटरों को इससे घाटा होगा, इसकी भरपाई के लिए दो विकल्प हैं, या तो सरकार घाटे की क्षतिपूर्ति करे या किराया बढ़ा दें। -जेएम पठानिया, निदेशक परिवहन विभाग।
सरकार को जो भी फैसला आएगा हम हर हाल में उसका पालन करेंगे। इसके लिए हमारी पूरी तैयारी है। -युनूस, प्रबंध निदेशक हिमाचल पथ परिवहन निगम।
बसों में क्षमता से 50 फीसद सवारियां बैठाने से ऑपरेटरों को घाटा होगा। इसकी भरपाई के लिए सरकार हमें सब्सिडी दे या बसों का किराया बढ़ाए। हमने अपनी राय सरकार को दे दी है। -रमेश कमल, महासचिव हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ।
कब-कब हुई वृद्धि
2010 और 2013 व 2018 में प्रदेश में किराये में बढ़ोतरी की गई है। 2010 में 33.33 फीसद और 2013 में 30.63 फीसद वृद्धि की गई थी। 2018 में 20 से 24 फीसद तक की बढ़ोतरी हुई थी।
किराये की वर्तमान दरें
प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में सामान्य बस किराया 1.12 रुपये प्रति किलोमीटर है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में 1.75 रुपये किलोमीटर है। डीलक्स बसों का मैदानी क्षेत्र में किराया 1.37 रुपये प्रति किलोमीटर है व पहाड़ी क्षेत्रों में 2.17 रुपये प्रति किलोमीटर है। लग्जरी बसों का मैदानी क्षेत्रों में किराया 2.74 रुपये प्रति किलोमीटर व पहाड़ी क्षेत्रों में 3.62 रुपये प्रति किलोमीटर है।