22 साल बाद परिवार से मिलेगा झारखंड का नरेश, घर का पता भी भूल चुका था, इस तरह मदद को आए लोग

Jharkhand News सुंदरनगर में रह रहा मजदूर नरेश कुमार 22 साल बाद स्वजनों से मिलेगा। वह झारखंड से एक ठेकेदार के साथ सुंदरनगर में मजदूरी करने आया था। ठेकेदार से बिछुड़ जाने के बाद सीमेंट के पाइप में रह रहा था।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Sun, 07 Nov 2021 11:27 AM (IST) Updated:Sun, 07 Nov 2021 11:27 AM (IST)
22 साल बाद परिवार से मिलेगा झारखंड का नरेश, घर का पता भी भूल चुका था, इस तरह मदद को आए लोग
सुंदरनगर में रह रहा मजदूर नरेश कुमार 22 साल बाद स्वजनों से मिलेगा।

मंडी, सुरेंद्र शर्मा। Jharkhand News, सुंदरनगर में रह रहा मजदूर नरेश कुमार 22 साल बाद स्वजनों से मिलेगा। वह झारखंड से एक ठेकेदार के साथ सुंदरनगर में मजदूरी करने आया था। ठेकेदार से बिछुड़ जाने के बाद सीमेंट के पाइप में रह रहा था। उसे घर का पता भी याद नहीं रहा था। स्वजन से मिलाने में सुंदरनगर के स्वयंसेवियों ने मदद की। नरेश कुमार पुत्र जगरनाथ मांझी गांव ज्वारी डाकघर भातुरिया तहसील रामगढ़ जिला दुमका (झारखंड) का रहने वाला है। करीब 22 साल पहले वह एक ठेकेदार के साथ काम करने के लिए सुंदरनगर पहुंचा था। कुछ समय तक उसने अन्य मजदूरों के साथ ठेकेदार के लिए कार्य किया। बाद में वह ठेकेदार के मजदूरों से अलग हो गया।

सुंदरनगर में किराये के कमरे में रहा था, लेकिन कोरोना काल में आर्थिक तंगी के कारण कमरे का किराया नहीं दे पाया। फिर खुले आसमान तले आ गया। रात को यहां वहां रात काटने को मजबूर नरेश की हालत पर स्थानीय ठेकेदार जय सिंह की नजर पड़ी तो उन्होंने एक बड़े सीमेंट के पाइप को एक तरफ से बंद कर उसे आश्रय दिया।

आसपास के लोग उसे सुबह-शाम रोटी देते रहे। पाइप में रहते हुए मई-जून में कोरोना काल के दौरान उसकी हालत बेहद खराब हो गई। उसके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया। नौ जून को स्वयंसेवी अधिवक्ता प्रेम सिंह ठाकुर, अधिवक्ता जितेंद्र वर्मा, पार्षद शिव सिंह सेन तथा ठेकेदार जय सिंह ने उसे सुंदरनगर नागरिक अस्पताल में दाखिल करवाया।

स्वयंसेवियों ने नरेश को उसके घर पहुंचाने के लिए कई प्रवासी मजदूरों से न केवल संपर्क किया बल्कि उसकी शिनाख्त भी करवाई, लेकिन उसके घर का पता नहीं चल पाा। कुछ समय पहले झारखंड के प्रवासी मजदूरों को उसके फोटो उपलब्ध करवाने के बाद नरेश कुमार  के गांव व परिवार वालों का सही पता चल पाया। स्वयंसेवियों ने नरेश की मां परनी देवी व पिता जगरनाथ मांझी से संपर्क कर उन्हें स्थिति से अवगत करवाया। एक-दो दिन में परिवार के सदस्य नरेश को घर ले जाने के लिए सुंदरनगर पहुंच रहे हैं। एसडीएम कार्यालय के अधीक्षक मनिंदर बरारी ने नरेश का उपचार करवाने में सहयोग किया। उसके घर का पता ढूंढने में भी स्वयंसेवियों की हरसंभव मदद की।

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