आइआइटी मंडी की पहल: मेक इन इंडिया के तहत बनेगी चिप, नहीं रहेगी डाटा चोरी की समस्या

IIT Mandi Initiative भारतीय इलेक्ट्रानिक्स व आटोमोबाइल उद्योग को चिप के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर नहीं रहना होगा। अब देश में चिप की फैब्रिकेशन होगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी ने इसके लिए पहल की है। मेक इन इंडिया के अंतर्गत बनने वाली चिप पूरी तरह सुरक्षित होगी।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Sun, 14 Nov 2021 11:15 AM (IST) Updated:Sun, 14 Nov 2021 11:15 AM (IST)
आइआइटी मंडी की पहल: मेक इन इंडिया के तहत बनेगी चिप, नहीं रहेगी डाटा चोरी की समस्या
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी का भवन।

मंडी, हंसराज सैनी। IIT Mandi Initiative, भारतीय इलेक्ट्रानिक्स व आटोमोबाइल उद्योग को चिप के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर नहीं रहना होगा। अब देश में चिप की फैब्रिकेशन होगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी ने इसके लिए पहल की है। मेक इन इंडिया के अंतर्गत बनने वाली चिप पूरी तरह सुरक्षित होगी। यह डाटा चोरी होने की समस्या से भी निजात दिलाएगी। देश में सर्वश्रेष्ठ चिप डिजाइनरों के साथ उत्कृष्ट शैक्षणिक संस्थान भी हैं। इस ज्ञान को एक जीवंत फैब पारिस्थितिकी तंत्र में बदलने के लिए सामूहिक ज्ञान की अभी कमी है। आइआइटी की यह पहल भारतीय अर्धचालक उद्योग को देश की मांगों को पूरा करने और व्यापक इलेक्ट्रानिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण के लिए विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी इकाई के रूप में विकसित करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। देश में मोहाली व दो अन्य लैबों में अभी 128 नैनो मीटर तक की चिप की फैब्रिकेशन होती है।

आटोमोबाइल व  इलेक्ट्रानिक्स इंडस्ट्री अभी भी चीन की चिप पर निर्भर है। सुरक्षा की दृष्टि से केंद्र सरकार ने फिलहाल चीन में निर्मित चिप के आयात पर रोक लगा रखी है। इससे आटोमोबाइल व इलेक्ट्रानिक्स इंडस्ट्री चिप संकट से जूझ रही है। आइआइटी मंडी के विज्ञानी अमेरिका की इंटेल कंपनी के लिए 16 नैनोमीटर की चिप डिजाइन कर चुके हैं। भारतीय इलेक्ट्रानिक्स उद्योग आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण 65, 45, 32 व 28 नैनोमीटर  प्रौद्योगिकी नोड चिप के आयात पर अत्यधिक निर्भर है। आयात की मांग 2025 तक कई गुना बढऩे की उम्मीद है। इन चिप का प्रयोग मोबाइल फोन, लैपटाप, लग्जरी वाहनों, रक्षा व चिकित्सा उपकरणों में हो रहा है। आइआइटी के विज्ञानियों ने 28 नैनोमीटर व उससे कम प्रौद्योगिकी के नोड को फैब करने का लक्ष्य निर्धारित कर उस पर काम शुरू कर दिया है।

आइआइटी मंडी में उच्च क्षमता की चिप फैब्रिकेशन को लेकर 15 व 16 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला होगी। नीति आयोग इस कार्यशाला पर अपनी पूरी नजर बनाए हुए है। नीति आयोग के सदस्य डा. वीके सारस्वत संगोष्ठी में मुख्य अतिथि होंगे। बनमाली अग्रवाल प्रधान इंफ्रास्ट्रक्चर, डिफेंस एंड एयरोस्पेस एंड ग्लोबल कारपोरेट अफेयर्स टाटा सन्स व सौरभ गौड संयुक्त सचिव इलेक्ट्रानिक्स भारत सरकार सम्मानित अतिथि होंगे।

आइआइटी मंडी के प्रो. सतिंद्र कुमार शर्मा का कहना है देश में चिप की डिजाइनिंग तो होती है, लेकिन फैब्रिकेशन बड़ी समस्या है। चिप फैब के लिए आज भी विदेशी कंपनियों पर निर्भरता है। देश में ही 28 नैनो मीटर व उससे कम क्षमता की चिप फैब होने से आटोमोबाइल व इलेक्ट्रानिक्स उद्योग को बड़ी राहत मिलेगी। डाटा चोरी होने की समस्या से भी निजात मिलेगी।

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