हिमाचल में कोरोना संकट में सात हजार विद्यार्थियों ने छोड़े निजी स्कूल, विभाग ने वर्दी के लिए भेजी अतिरिक्त मांग

Himachal School News निजी स्कूलों की मनमानी फीस से गुस्साए अभिभावकों ने सरकारी स्कूलों को अधिमान दिया है। सात हजार बच्‍चों ने निजी स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है। स्कूलों में दाखिले बढ़ने से शिक्षा विभाग को निश्शुल्क वर्दी के तहत अतिरिक्त डिमांड भेजनी पड़ी है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 08:43 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 08:43 AM (IST)
हिमाचल में कोरोना संकट में सात हजार विद्यार्थियों ने छोड़े निजी स्कूल, विभाग ने वर्दी के लिए भेजी अतिरिक्त मांग
कोरोना संकट के बीच निजी स्कूलों की मनमानी फीस से गुस्साए अभिभावकों ने सरकारी स्कूलों को अधिमान दिया है।

शिमला, जागरण संवाददाता। Himachal School News, कोरोना संकट के बीच निजी स्कूलों की मनमानी फीस से गुस्साए अभिभावकों ने सरकारी स्कूलों को अधिमान दिया है। सात हजार बच्‍चों ने निजी स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है। स्कूलों में दाखिले बढ़ने से शिक्षा विभाग को निश्शुल्क वर्दी के तहत अतिरिक्त डिमांड भेजनी पड़ी है। शिक्षा विभाग ने राज्य खाद्य एवं आपूर्ति निगम को 14 हजार वर्दियों के अतिरिक्त सेट भेजने को कहा है। शिक्षा विभाग अटल वर्दी योजना के तहत हर साल दो-दो वर्दियों के सेट निश्शुल्क विद्यार्थियों को देता है। राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम ने इस साल वर्दी का टेंडर कर कंपनी को आर्डर भी जारी कर दिया है। अब इसमें 14 हजार वर्दी के सेट और बढ़ाने को कहा गया है।

8.5 लाख सेट की भेजी थी डिमांड

गुजरात की एक कंपनी को इस बार वर्दी का टेंडर मिला है। शिक्षा विभाग ने आठ लाख पांच हजार सेट की डिमांड भेजी थी। अक्टूबर में वर्दी का आवंटन शुरू कर दिया जाएगा। पहली से दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों को वर्दी के साथ सिलाई का पैसा भी दिया जाता है, जबकि जमा एक व दो के विद्यार्थियों को सिर्फ वर्दी ही मिलेगी। शिक्षा विभाग ने वर्दी के लिए बजट जारी कर दिया है।

शिक्षा सचिव राजीव शर्मा का कहा है अटल वर्दी योजना के तहत बच्‍चों को जल्द ही वर्दी मुहैया करवाई जाएगी। इस साल सरकारी स्कूलों में दाखिले बढ़े हैं, इसलिए कंपनी को 14 हजार नए सेट भेजने को कहा है।

मिड-डेे मील के फंडिंग पैटर्न में होगा बदलाव

शिमला। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील के फंडिंग पैटर्न में बदलाव किया जाएगा। बजट की निगरानी के लिए यह निर्णय लिया गया है। इसके तहत सरकार एकीकृत वित्तीय एवं प्रबंधन सूचना पद्धति (जीआइएफएमआइएस) के तहत बजट जारी करेगी। पब्लिक फाइनांस मैनेजमेंट सिस्टम के तहत विशेष कोड जारी किया जाएगा। इससे मिड-डे मील के तहत जारी होने वाले बजट की पूरी जानकारी रहेगी।

शिक्षा विभाग ने सभी शिक्षा उपनिदेशकों को इस बारे में निर्देश जारी कर दिया है। इसके लिए स्कूलों को नए सिरे से बैंक अकाउंट खोलने होंगे। पहली से आठवीं कक्षा तक के साढ़े पांच लाख विद्यार्थियों को मिड-डे मील योजना के तहत रोजाना खाना दिया जाता है। कोरोना के कारण स्कूल बंद हैं। ऐसे में राशन ही विद्यार्थियों तक पहुंचाया जा रहा है। इस व्यवस्था को केंद्र व राज्य के विशेष आइटी सिस्टम से जांचा जा सकता है जो पीएफएमएस से जुड़ा होगा। पीएफएमएस व्यवस्था में जिस भी दुकान या डिपो से मिड डे मील का सामान क्रय होगा, उसको स्कूल पीएफएमएस पोर्टल में एक बार वेंडर रजिस्टर करेगा और तय बिल की राशि आनलाइन उनके खातों में देने के लिए ऑनलाइन अप्रूवल देगा, जिसकी प्रिंट प्रति संबंधित बैंक को पांच दिन के भीतर देने पर बैंक मात्र एक क्लिक से पेमेंट जारी करेगा।

chat bot
आपका साथी