पंचायत चुनाव: कार्यकर्ताओं के चुनाव पर नेताओं की साख, रूठों को मनाने और नाम वापस लेने के लिए कसरत तेज

Himachal Panchayat Chunav पंचायत चुनाव में भले ही राजनेता सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं। लेकिन हर कार्यकर्ता के चुनाव से नेता की सीधी साख जुड़ी है। नेता लगातार नामांकन से लेकर अपने पक्ष के ही खड़े दूसरे प्रत्याशियों को बिठाने की कसरत में लगे हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Sun, 03 Jan 2021 06:25 AM (IST) Updated:Sun, 03 Jan 2021 08:01 AM (IST)
पंचायत चुनाव: कार्यकर्ताओं के चुनाव पर नेताओं की साख, रूठों को मनाने और नाम वापस लेने के लिए कसरत तेज
पंचायत चुनाव में भले ही राजनेता सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं।

शिमला/धर्मशाला, जेएनएन। पंचायत चुनाव में भले ही राजनेता सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं। लेकिन हर कार्यकर्ता के चुनाव से नेता की सीधी साख जुड़ी है। नेता लगातार नामांकन से लेकर अपने पक्ष के ही खड़े दूसरे प्रत्याशियों को बिठाने की कसरत में लगे हैं। आलम यह है कि बड़े नेताओं को लगातार ही फील्ड में उतरना पड़ रहा है। भले ही किसी गांव का दौरा बता कर नेता वहां पहुंच रहे हैं। लेकिन मकसद अपनी पार्टी के प्रत्याशियों में सहमति बनाना ही काम रह रहा है। दिन हो या रात लगातार फोन पर नेता अपनी पार्टी से जुड़े अन्य नेताओं को चुनाव से समर्थित प्रत्याशी के पक्ष में नाम वापस लेने के लिए बात कर रहे हैं।

हालांकि इस मामले में तेजी आने वाले दिनों में दिखेगी, लेकिन जिन नेताओं ने नामांकन पार्टी के समर्थित प्रत्याशी के खिलाफ भर दिए हैं। उन्हें मनाने की कसरत शुरू कर दी है। चुनाव है तो सब कुछ जायज होता है। इसके बावजूद नेता किसी भी तरह से कोई मौका नहीं छोडऩा चाहते हैं। अपनों को बिठाने के लिए उनके नजदीकी या रसूखदार रिश्तेदारों से लेकर गांव के बुजुर्गों को भी पार्टी के समर्थित प्रत्याशी के पक्ष में सहमति बनाने का काम सौंपा जा रहा है। इस बार के पंचायत चुनावों में सबसे ज्यादा समर्थित उम्मीदवार मैदान में होंगे।

जिला परिषद तक के प्रत्याशी तो घोषित हैं, लेकिन प्रधान पद तक के प्रत्याशियों के नाम पर सहमति बनाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। इसलिए बड़े नेताओं से लेकर संगठन के पदाधिकारियों की कसरत भी खूब हो रही है। दोनों ही बड़े राजनीतिक दलों ने अपने समर्थित प्रत्याशियों को चुनावी समर में उतार दिया है। खुद संगठन के पदाधिकारी नाराज होकर नामांकन भर चुके प्रत्याशियों को मनाने में लगे हैं। सभी की नजर इस पर है कि कौन कितने नाराज प्रत्याशियों को मना पाता है चुनावों का परिणाम इसी कसरत की सफलता पर निर्भर करेगा।

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