शिमला में ओलावृष्टि से बागवानों को भारी नुकसान, सेब के पौधों से जमीन पर बिछ गए फूल और पत्ते

अप्पर शिमला के कोटखाई क्षेत्र के तहत रतनाड़ी और कलबोग इलाके में भी हुई भारी ओलावृष्टि से सेब की फसल को भारी नुकसान हुआ है।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Sat, 02 May 2020 12:10 PM (IST) Updated:Sat, 02 May 2020 12:10 PM (IST)
शिमला में ओलावृष्टि से बागवानों को भारी नुकसान, सेब के पौधों से जमीन पर बिछ गए फूल और पत्ते
शिमला में ओलावृष्टि से बागवानों को भारी नुकसान, सेब के पौधों से जमीन पर बिछ गए फूल और पत्ते

शिमला, जेएनएन/एएनआइ। अप्पर शिमला के कोटखाई क्षेत्र के तहत रतनाड़ी और कलबोग इलाके में भी हुई भारी ओलावृष्टि से सेब की फसल को भारी नुकसान हुआ है। सेब के पत्ते व फूल टूटकर जमीन पर बिछ गए हैं। बारिश के साथ हुई भारी ओलावृष्टि से सेब के बगीचे प्रभावित हुए हैं। बगीचे में सेब के पौधों पर खिले फूल नष्ट हो गए। आशंका जताई जा रही है कि भयंकर ओलावृष्टि से सेब बागवानों को लाखों का नुकसान झेलना पड़ सकता है।

अप्पर शिमला एरिया में ओलावृष्टि इतनी भयानक थी कि बगीचाें में रखी प्लास्टिक की कुर्सियां भी टूट गई हैं। फ्लावरिंग के संवेदनशील समय में आई इस प्राकृतिक आपदा का सेब की पैदावार पर काफी प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना है। इन क्षेत्रों में सेब का अधिक उत्पादन होता है।

बताया जा रहा है कि सेब के जिन पौधों के ऊपर नेट लगाया हुआ था, वहां पौधे कम प्रभावित हुए हैं। मार्च और अप्रैल के बाद मई में भी आसमान में बादल छाने से सेब बागवानों की चिंता बढ़ गई है। राजधानी शिमला में सर्दियों और बरसात की तरह अप्रैल के अंत में धुंध छा गई और एक दम से ठंड लौट आई।

ऐसे मौसम का सेब की पैदावार पर विपरीत असर पड़ेगा। बीते दिनों निचले क्षेत्र में हुई आेलावृष्टि से आम की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है। इसके अलावा गेहूं की फसल भी बर्बाद हुई है।

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