आपातकाल: विधानसभा सब कमेटी की बैठक से कर लिया था गिरफ्तार, शांता कुमार ने 19 माह ब‍िताए जेल में

शिमला में विधानसभा की सब कमेटी की बैठक थी। उसमें भाग लेने के लिए गया था। दूसरा दिन था जब गिरफ्तार कर लिया गया।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Wed, 24 Jun 2020 09:54 AM (IST) Updated:Wed, 24 Jun 2020 09:54 AM (IST)
आपातकाल: विधानसभा सब कमेटी की बैठक से कर लिया था गिरफ्तार, शांता कुमार ने 19 माह ब‍िताए जेल में
आपातकाल: विधानसभा सब कमेटी की बैठक से कर लिया था गिरफ्तार, शांता कुमार ने 19 माह ब‍िताए जेल में

पालमपुर, जागरण संवाददाता। 1975 में इमरजेंसी में हम जेल पहुंचे। क्यों पकड़े गए, कब छूटेंगे कुछ पता नहीं था। तब हम जेल में यह पंक्तियां गुनगुनाते थे।

गुनहगारों में शामिल हूं,

गुनाहों से नहीं वाकिफ,

सजा तो जानता हूं,

खुदा जाने खता क्या है।

शिमला में विधानसभा की सब कमेटी की बैठक थी। उसमें भाग लेने के लिए गया था। दूसरा दिन था जब गिरफ्तार कर लिया गया। जेल में कुछ दिन परेशान रहा। दिन में नींद भी नहीं आती थी। एक दिन श्रीमद भागवत गीता मंगवाई, पढ़ी और मेरे भीतर आवाज आई कि प्रभु यदि यही तुम्हारा आदेश है तो मुझे स्वीकार है। जेल के अंदर योग व ध्यान किया। खूब पढ़ा और चार पुस्तकें लिखी। मेरी सोच बदल गई और फिर सब कुछ बदल गया।

पिछले दिनों नाहन गया और जेल की उन दीवारों को देखता रहा जहां 19 महीने तक रहा। कुछ देर आंखें बंद करके खड़ा रहा और आनंद की अनुभूति हुई। जेल नहीं मेरा आश्रम है। इसलिए मैंने कहा था कि नाहन जाना मेरे लिए तीर्थ यात्रा है। 19 महीने की जेल मेरे लिए जीवन की साधना थी।

जेल में रहकर लिखे तीन उपन्यास

मैंने पांच उपन्यास लिखे हैंं। इनमें से तीन उपन्यास लाजो, कैदी और मन के मीत को जेल में रहते लिखा है। इसके अलावा जेल डायरी लिखी, जो दीवार के उस पार नाम से प्रकाशित हुई है।

भारत यात्रा का कार्यक्रम था, डाल दिया जेल में

परिवार के साथ भारत यात्रा का कार्यक्रम बनाया था। शिमला का कार्यक्रम तय था। परिवार से कहा आप तैयारी करो परसों आ जाऊंगा।  परिवार के सदस्यों ने पूरा सामान बांध दिया था। शिमला पहुंचने के बाद गिरफ्तार कर नाहन जेल में ले जाया गया तो अजीब सी मनोस्थिति थी। कुछ दिन स्थिति विकट रही। मां से श्रीमद्भगवद गीता सुनी थी फिर किसी से कहकर इसे मंगवाया और पढ़ा। पहली बार ओशो को भी जेल में ही पढ़ा।

जेल में साथियों के साथ बनाई बडिय़ां

जेल में राधा रमण शास्त्री और बिलासपुर के कुछ साथी एक साथ रहते थे। उनके साथ एक दिन जेल में बडिय़ां बनाकर छत पर डाल रहे थे। इतने में जेलर आए और पूछा क्या हो रहा है। उन्हें कहा कि कितने दिन जेल में रहना है यह तो पता नहीं है इसलिए हम पूरी तैयारी कर रहे हैं।

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