मेहनत रंग लाई, बंजर में बगिया लहलहाई

संवाद सहयोगी, ज्वालामुखी : गर कुछ करने का नेक इरादा हो तो इंसान बंजर जमीन में भी फूल खिलाने का जज्बा

By Edited By: Publish:Sat, 23 May 2015 12:17 AM (IST) Updated:Sat, 23 May 2015 12:17 AM (IST)
मेहनत रंग लाई, बंजर में बगिया लहलहाई

संवाद सहयोगी, ज्वालामुखी : गर कुछ करने का नेक इरादा हो तो इंसान बंजर जमीन में भी फूल खिलाने का जज्बा रखता है। कुछ ऐसा ही ज्वालामुखी के एक किसान व बागवान ने कर दिखाया है। ग्राम पंचायत डोहग देहरियां के गांव बाबा पंजा के ठाकुर गुरदेव ¨सह ने मेहनत, लगन और दृढ़ निश्चय के बल पर अपनी बंजर जमीन पर लहलहाता फलदार पौधों का बागीचा तैयार र दिया है। गुरदेव ¨सह ने कहा कि स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद नौकरी के लिए काफी भागदौड़ की, लेकिन कहीं कामयाबी नहीं मिली। शुरू में उन्होंने पारंपरिक खेती के साथ डेयरी का कार्य किया। इस कारोबार में गुजारा तो हो रहा था, लेकिन उनकी अंतरआत्मा संतुष्ट नहीं थी, क्योंकि उत्पादन पर खर्चा ज्यादा हो रहा था पर दूध का सही मूल्य नहीं मिल रह था। उन्होंने टेलीविजन पर कर्नाटक के एक बागवान की डाक्यूमेंट्री देख, जिसमें उस बागवान ने पहाड़ी जमीन पर ड्रिल मशीन से खड्डे खोदकर बागीचा तैयार किया था। इससे प्रभावित होकर उन्होंने अपनी बंजर जमीन में भी बगीचा लगाने की ठान ली। उस बंजर जमीन में अपना पसीना बहाकर खड्डे खोदकर उमदा किस्म के दो सौ पौधे आम के लगाए, लेकिन सर्दी के मौसम में कोहरे और सूख कीे वजह से डेढ़ सौ से ज्यादा पौधे सूख गए। इस पर उनकी हिम्मत जबाव दे गई, लेकिन उनकी पत्नी विमला देवी ने उनका हौंसला बढ़ाते हुए बगीचे में अलग-अलग फलदार पौधों सहित इमारती लकड़ी के पौधे भी रोपे। साथ ही विभाग की मदद से पानी का टैंक बनवाया जिस पर विभाग ने उन्हें एक लाख रुपये का अनुदान दिया साथ ही खड्ड से पानी उठाने के लिए पंपिग मशीनरी के लिए भी अनुदान दिया।

इस पर उन्होंने बगीचे में अलग-अलग किस्म के फलदार पौधे लगाने जारी रखे, ताकि बगीचा तैयार होने पर उन्हें हर सीजन में पैदावार उपलब्ध हो सके। इस समय बगीचे में आम, संतरे, मौसम्मी, अनार, चीकू, नाख एवं नाशपाती सहित सेब व कई औषधीय पौधे हैं।

chat bot
आपका साथी