आम को नहीं मिला दाम

फलों के राजा आम की इस वर्ष बंपर फसल है। कोरोना महामारी के कारण बाहरी राज्यों से कम

By JagranEdited By: Publish:Tue, 14 Jul 2020 07:00 AM (IST) Updated:Tue, 14 Jul 2020 07:00 AM (IST)
आम को नहीं मिला दाम
आम को नहीं मिला दाम

फलों के राजा आम की इस वर्ष बंपर फसल है। कोरोना महामारी के कारण बाहरी राज्यों से कम ही व्यापारी आए हैं और इस कारण बागवानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। हालांकि प्रदेश सरकार ने बागवानों की सुविधा के लिए इंदौरा के चनौर, नूरपुर के राजा का बाग व फतेहपुर में फल खरीद केंद्र सोमवार से शुरू किए हैं। हैरानी की बात यह रही कि जागरूकता के अभाव में सोमवार को कोई भी बागवान आम बेचने के लिए नहीं पहुंचा।

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विभाग की लापरवाही पड़ी भारी

प्रचार-प्रसार के अभाव में विक्रय केंद्रों में सोमवार को कोई भी बागवान नहीं पहुंचा। हिमफेड ने उन्हीं बागवानों से फल खरीदने थे जिनके पास उद्यान विभाग की ओर से जारी किया गया कार्ड हो। केंद्रों को खोलने का प्रचार-प्रसार न करना बागवानों पर भारी पड़ा है। कलेक्शन सेंटर तो खुले रहे लेकिन ये सूने ही रहे।

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बंपर फसल के बावजूद आम के खरीदारों की कमी अखर रही है। मजबूरी में बागवानों को ओने-पौने दाम पर ही फल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

-सरदार सिंह पठानिया।

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सरकार ने एक तो बिक्री केंद्र देरी से खोले और ऊपर से इनका व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार न होने से बागवानों को इस बाबत जानकारी नहीं मिल पाई है।

अमित पठानिया।

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कोरोना महामारी के कारण बागवानों को भारी नुकसान हुआ है। आम की फसल का आधा सीजन बीत चुका है। अब बिक्री केंद्र खोलने का क्या फायदा है।

राजू सेन ।

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बागवानों की आर्थिक स्थिति पहले ही बेहद खराब है। विक्रय केंद्र खोलने की विभाग ने कोई जानकारी नहीं दी थी और इस कारण ही फल लेकर नहीं गए।

-राजन शर्मा।

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ये किस्में होती हैं आम की

उपमंडल नूरपूर के तहत इंदौरा, जवाली व फतेहपुर में अधिकांश लोग बागवानी पर निर्भर हैं। यहां दशहरी, लंगड़ा, चौसा, ग्रीन, फजली व रामकेला किस्मों के आमों की पैदावार होती है। सबसे ज्यादा दशहरी किस्म के आम की पैदावार होती है।

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बागवान ऐसे बनवाएं कार्ड

उपमंडल नूरपुर के क्षेत्रीय बागवानी उद्यान विकास विभाग कार्यालय नूरपूर से फॉर्म भरवाकर पटवारी व पंचायत प्रधान से सत्यापित करवाने के बाद ही बागवानों को कार्ड जारी किया जाएगा। कार्ड के जरिये हिमफैड के बिक्री केंद्रों पर बागवान फल बेच सकते हैं।

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बागवानों को आम बेचने के लिए उद्यान विभाग की ओर से जारी किया गया कार्ड दिखाना होगा। बागवान कच्चे आम को 21 किलो वजनी क्रेट में भरकर लाएं। बागवानों को भुगतान बचत खातों के माध्यम से किया जाएगा।

-प्रदीप शर्मा, प्रभारी हिमफैड राजा का बाग।

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उपमंडल नूरपुर के तहत 3767 हेक्टेयर क्षेत्र में आम उगाया जाता है और औसतन 5800 मीट्रिक टन पैदावार होती है। इंदौरा में 6772 हेक्टेयर में 7400 मीट्रिक टन पैदावार होती है।

-अनामिका सैनी, उद्यान विकास अधिकारी नूरपुर -प्रस्तुति अश्वनी शर्मा, जसूर

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