राष्ट्रपति ने कहा-न दें मानद उपाधि, मैं इस लायक नहीं

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोलन जिले के डॉ. वाईएस परमार वानिकी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय नौणी में डॉक्टरेट ऑफ साइंस की मानद उपाधि लेने से इन्कार कर दिया।

By BabitaEdited By: Publish:Mon, 21 May 2018 03:55 PM (IST) Updated:Tue, 22 May 2018 12:58 PM (IST)
राष्ट्रपति ने कहा-न दें मानद उपाधि, मैं इस लायक नहीं
राष्ट्रपति ने कहा-न दें मानद उपाधि, मैं इस लायक नहीं

जागरण संवाददाता, सोलन। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को सोलन जिले (हिमाचल प्रदेश) के डॉ. वाईएस परमार वानिकी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय नौणी के नौवें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय की ओर से दी जाने वाली डॉक्टरेट ऑफ साइंस की मानद उपाधि लेने से इन्कार कर दिया। कोविंद ने मंच से कहा कि उन्होंने इस उपाधि के लिए असहमति दी है, क्योंकि वह स्वयं को इसके योग्य नहीं समझते। हालांकि इसके पीछे विश्वविद्यालय की भावना की कद्र करता हूं। यहां आने का प्रस्ताव इसलिए स्वीकार किया क्योंकि यहां बागवानी और वानिकी पर बेहतर रिसर्च होती है। वह कुछ सीखने की चाह में यहां आए।

राष्ट्रपति निर्धारित समय 11 बजे से 15 मिनट पहले विश्वविद्यालय के सभागार में पहुंच गए और तत्काल कार्यक्रम शुरू हो गया। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश के राष्ट्रीय गान की दूसरी पंक्ति में भाग्य विधाता शब्द हैं, जिन्हें कृषि, बागवानी और वानिकी सार्थक बना सकते हैं। उपाधि मात्र नौकरी पाने का जरिया नहीं है, बल्कि शिक्षा का समुचित उपयोग करना आवश्यक है। ऐसे बहुत से नौजवान हैं जिन्होंने शिक्षा अर्जित करने के बाद कई ऐतिहासिक निर्णय लिए व किसानों के लिए प्रेरणा बने। अंत में उन्होंने नौणी विश्वविद्यालय के नौ विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल व 465 को डिग्रियां भी बांटीं।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने भी कार्यक्रम में छात्रों का मार्गदर्शन किया। छात्राएं हर क्षेत्र में श्रेष्ठराष्ट्रपति ने स्वर्ण पदक प्रदान करने के बाद कहा कि कुल नौ स्वर्ण पदकों में से सात छात्राओं के हिस्से आए हैं। आज देश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का सपना सच हो रहा है। बेटियां खेल, शिक्षा, रक्षा से लेकर हर क्षेत्र में अव्वल हैं। 

 

 डॉक्टर यशवंत सिंह परमार विश्वविद्यालय को एशिया का पहला हार्टिकल्चर विश्वविद्यालय होने का गौरव प्राप्त है। पिछले लगभग तीन दशकों के दौरान राज्य में हार्टिकल्चर और फोरेस्ट्री के विकास में इस विश्वविद्यालय का सराहनीय योगदान रहा है। हिमाचल प्रदेश का मुख्य व्यवसाय कृषि है जिसमें राज्य की लगभग 70 प्रतिशत काम-काजी आबादी को रोजगार प्राप्त होता है। देश की आबादी का लगभग 55 प्रतिशत कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों में लगा है। इसीलिए आज किसानों की आय में बढ़ोतरी और ग्रामीण क्षेत्र का विकास देश की प्राथमिकता है।

 

आज देश में लगभग 300 मिलियन टन बागवानी फसलों का उत्पादन हो रहा है। हम हार्टिकल्चर उत्पादों का निर्यात करके विदेशी मुद्रा भी अर्जित कर रहे हैं। इस सफलता के पीछे हमारे किसानों की कड़ी मेहनत के साथ-साथ, कृषि विशेषज्ञों के महत्वपूर्ण योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। मैं यहां के प्रत्येक विद्यार्थी को हिमाचल प्रदेश के और पूरे भारत के किसानों का मित्र मानता हूं। प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसानों की सहायता करके ही आप सबका ज्ञान सार्थक सिद्ध होगा। आप सबकी सहायता के दायरे में आखिरी गाँव का आखिरी किसान भी शामिल होना चाहिए।

chat bot
आपका साथी