आम ही नहीं खास भी हैं साइकिल के शौकीन
एक दौर था जब आवाजाही का साधन सिर्फ साइकल था। आधुनिकता आई और आज मोटरसाइकल और अन्य यातायात के साधन आ गए हैं लोग साइकल की महता को भी भूल से भी गए। अब लोगों को साइकल की महता के साथ फिर से वह गुजरा जमाना भी याद आया। आधुनिकता के इस दौर में अब हालात ऐसे भी हैं कि पुरानी पीढ़ी ने साइकल को अभी भी संभाल कर रखा है वहीं आमजन सहित युवा अधिकारियों की भी पसंद साइकल बनती जा रही है। जिला के कुछ अधिकारी इन दिनों में कोरोना को लेकर साइकल पर ही सफर करके लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। साइकिल परिवहन का स्वच्छ तथा सस्ता माध्यम है इससे किसी भी किस्म का पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता है और यह फिटनेस की ²ष्टि से भी उपयोगी है।
दिनेश कटोच, धर्मशाला
पहाड़ की परिस्थितियां अमूमन साइकिल के लिए मुफीद नहीं हैं। लेकिन इसके बावजूद यहां लोगों में इसे लेकर नई सोच पैदा हो रही है और हाशिये पर आई साइकिल अब एकाएक लोगों की सबसे प्यारी सवारी में शामिल हो गई है। आम लोग ही नहीं बल्कि युवा अधिकारी भी इसके शौकीन बन गए हैं। कोरोना वायरस के इस दौर में जिले के कुछ अधिकारी इन दिनों में साइकिल पर ही सफर कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। साइकिल परिवहन का स्वच्छ तथा सस्ता माध्यम है और इससे पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं होता है। साथ ही यह फिटनेस की दृष्टि से भी उपयोगी है।
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साइकिल पर बैठते ही होता है जवानी का अहसास : कमलेश
जीवन के 80 वसंत देख चुके छोटी हलेड़ के पूर्व सैनिक कमलेश सिंह आज भी साइकिल चलाने में गर्व महसूस करते हैं। वह सारे कार्यो को साइकिल से ही निपटाते आए हैं। बकौल कमलेश, शरीर बूढ़ा हो रहा है परंतु टांगें आज भी साइकिल पर बैठते ही जवानी का अहसास करवाती हैं।
कमलेश सिंह, छोटी हलेड़।
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रोजाना डेढ़ घंटा चलाता हूं साइकिल
बचपन से ही साइकिल चलाने का शौक था। एथलीट के रूप में साइकिल चलाने का अपना ही महत्व है। इन दिनों युवाओं में साइकिल का क्रेज बढ़ा है। प्रतिदिन एक से डेढ़ घंटा साइकिल चलाता हूं। साथ ही छोटे-मोटे काम निपटाने के लिए भी साइकिल का इस्तेमाल करता हूं।
विक्रम चौधरी, अंतरराष्ट्रीय एथलीट धर्मशाला
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ये भी हैं साइकिल सवार
रोजाना करते हैं 15 से 20 किलोमीटर सफर
पुलिस चौकी प्रभारी कोटला संजय शर्मा ने होम क्वारंटाइन लोगों की जांच व कोविड 19 के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के लिए अनूठी पहल की है। वह ड्यूटी निभाने के बाद शाम को साइकिल पर निकलते हैं और रोजाना 15 से 20 किलोमीटर का सफर तय करते हैं।
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नादौन से धर्मशाला आते रहे हैं चंद्रवीर
कांगड़ा में बतौर बीडीओ तैनात चंद्रवीर सिंह जब नादौन में तैनात थे तो वह साप्ताहिक छुट्टी पर घर धर्मशाला साइकिल से ही आते थे। वर्षों से वह साइकिल चला रहे हैं और अब भी उनका शौक कम नहीं हुआ है। उन्होंने अपने वाहन के पीछे साइकिल स्टैंड भी रखा है। जब दिल करता है वह साइकिल उतारकर सफर पर निकलते हैं।
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बढ़ी है साइकिल की मांग
कारोबारी तपिंद्र पठानिया बताते हैं कि इन दिनों साइकिल की मांग काफी बढ़ी है। बाजार में नए-नए मॉडलों की साइकिल उपलब्ध हैं। युवाओं में गियर वाली साइकिल का क्रेज काफी अधिक है।
तपिद्र पठानिया।
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साइकिल चलाने के फायदे
रोजाना 15 से 30 मिनट साइकिल चलाने से पेट की चर्बी और वजन घटाने में मदद मिलती है। साथ ही रात में ठीक से नींद आती है। रोजाना सुबह साइकिल चलाने से फिटनेस बरकरार रहती है। साइकिल चलाने से रोग प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है। सबसे बड़ा फायदा सेहत के साथ-साथ जेब और पर्यावरण को होता है।