अब मंगल ग्रह पर भी उगेंगे आइएचबीटी पालमपुर के पौधे

सीएसआइआर के शोध संस्‍थान आइएचबीटी पालमपुर में मंगल ग्रह के ल‍िए पौधे तैयार क‍िए जा रहे हैं। इसको लेकर शोध कार्य शुरू हो चुका है।

By Munish DixitEdited By: Publish:Sun, 23 Oct 2016 10:14 AM (IST) Updated:Sun, 23 Oct 2016 10:47 AM (IST)
अब मंगल ग्रह पर भी उगेंगे आइएचबीटी पालमपुर के पौधे

धर्मशाला [मुनीष गारिया] : नासा ने मंगल ग्रह पर पानी की खोज तो कर ली है, लेकिन वहां ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने का विकल्प नहीं खोजा जा सका। मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने की दिशा में हिमालयन जैवसंपदा प्रौद्योगिक संस्थान (आइएचबीटी) पालमपुर के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के तहत आने वाले आइएचबीटी में बिना मिट्टी, कम ऑक्सीजन और पानी में पौधे तैयार किए जा रहे हैं। विशेषज्ञों की टीम इन पौधों पर शोध करने और तैयार करने में जुटी है। विशेषज्ञ इन पौधों पर दो-तीन साल तक कार्य करेंगे। फिर ये पौधे पौधे मंगल ग्रह पर भेजे जाएंगे।

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इनसे मंगल ग्रह पर ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। दो प्रणालियों से तैयार किए जा रहे इन पौधों को विशेषज्ञों की टीम लगातार नर्सरी में देखभाल के लिए जुटी है। इन पौधों को तैयार करने के लिए आइएचबीटी में विशेष ग्रीन हाउस स्थापित किया गया है।

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दो तरीकों से हो रहे तैयार
आइएचबीटी के विशेष ग्रीन हाउस में इन पौधों को दो तरीकों से तैयार किया जा रहा है। इनमें पहली प्रक्रिया है एरोगॉनिक व दूसरी प्रक्रिया है हाइड्रोगॉनिक। एरोगॉनिक विधि में एक विशेष शीट में छेद किया जाता है और उस छेद में पौधा डाला जाता है। पौधे से निचली तरफ थोड़ा सा स्थान छोड़कर एक फव्वारा लगाया जाता है। इसमें पौधों को कम पानी व जरूरत के अनुसार फव्वारे से पानी छोड़ा जाता है। पौधे फव्वारे में बीच छोड़े गए स्थान में पौधे की जड़े बढ़ती रही है। इसके अलावा हाइड्रोगॉनिक विधि में पौधे को न्यूट्रियन सोल्यूशन अर्थात घोल में डाला जाता है। यह विशेष घोल पौधे को कम पानी व ऑक्सीजन मुहैया करवाता रहा है।

अभी शुरुआती दौर में हैं पौधे
इस प्रयोग का यह शुरुआती दौर है, जिस पर विशेषज्ञों की टीम कई प्रयोग करेगी। इसके साथ ही यह भी देखेगी कि दोनों में से किस प्रक्रिया में सबसे पहले और अच्छी तरह से पौधे तैयार होते हैं। इन पौधों में कुछ औषधीय पौधे भी शामिल हैं।

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प्रयोग सफल होने में लगेगा अभी समय
प्रयोग का अभी तक यह शुरुआती चरण है। विशेषज्ञों की टीम इन पौधों का पूरा ध्यान रख रही है। कुछ साल तक इन पौधों पर शोध किया जाएगा उसी के बाद परिणाम आएंगे।
-डॉ. संजय कुमार, निदेशक हिमालयन जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर।

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