दम तोड़ती धरोहरों पर नहीं मरम्मत का मरहम

दिनेश कटोच, धर्मशाला किसी भी शहर की पहचान पौराणिक धराहरों से ही है तो यह हमारी प्राचीन संस्कृति क

By Edited By: Publish:Tue, 27 Sep 2016 01:45 AM (IST) Updated:Tue, 27 Sep 2016 01:45 AM (IST)
दम तोड़ती धरोहरों पर नहीं मरम्मत का मरहम

दिनेश कटोच, धर्मशाला

किसी भी शहर की पहचान पौराणिक धराहरों से ही है तो यह हमारी प्राचीन संस्कृति का एक चेहरा भी हैं। जिला कांगड़ा की प्राचीन विरासतें लुप्त होने की कगार पर हैं, अगर ये लुप्त हो जाएंगी तो आने वाली पीढ़ी को सभ्यता के साथ कैसे जोड़ पाएंगे व पर्यटन को कैसे पंख लगेंगे।

जिला कांगड़ा प्रदेश में सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाता है तो प्राचीन काल से ही राजा महाराजाओं की विरासतों यानी किलों से भी इसकी अलग पहचान देश ही नहीं विदेशों में भी है। इसी के बूते पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता रहा है। अब बदलते समय के साथ इन दम तोड़ती धरोहरों को मरम्मत का मरहम भी मयसर नहीं है। पर्यटन विभाग तो कोशिशों में जुटा है, लेकिन पुरातत्व विभाग इनके जीर्णोद्धार में सबसे बड़ी बाधा है। महाराजा संसार चंद द्वारा बसाए नगरकोट किला कांगड़ा तो राजा जगत सिंह द्वारा बनवाए नूरपुर के किले कुछ हद तक अपनी पहचान बनाए रखने में कामयाब हैं। जिला कांगड़ा में रेहलू का किला, हरिपुर गुलेर, देहरा के मानगढ़, कोटला के कोटला किला व मऊ का किला अस्तित्व खो चुके हैं और इन्हें सहजने के प्रयास भी न के बराबर ही हैं।

नगरकोट किले में संग्रहालय है जहां पर प्राचीनकाल की कुछ धरोहरों को सहेज कर रखा गया है। इस कारण यहां विदेशी पर्यटकों की आवाजाही रहती है। वहीं नूरपुर किले में मीरा व कृष्ण का मंदिर भी किले की पहचान को बनाए रखने में कुछ हद तक कामयाब है। किलों के साथ पुरात्तव विभाग की 500 मीटर के दायरे में कोई निर्माण भी न करवाने का प्रतिबंध भी आसपास के क्षेत्रों को विकसित करने में सबसे बड़ी बाधा है।

किले आस्था के केंद्र भी

कुछ किले आस्था का केंद्र भी हैं।

नगरकोट किला मां अंबिका के मंदिर के कारण कटोच वंशजों का आस्था का केंद्र है। वहीं जैन समुदाय के लोग भी किले में स्थापित भगवान आदिनाथ जैन मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। होली पर्व व विभिन्न राज्यों से जैन समुदाय के लोगों की भीड़ भी यहां पर उमड़ती है। नूरपुर किले में मीरा व कृष्ण का मंदिर है। जन्माष्टमी पर मंदिर कार्यक्रम का आयोजन होता है। कोटला स्थित कोटला किले में मां बगलामुखी का मंदिर भी आस्था प्रतीक है। हरिपुर में भी किले के आसपास कई मंदिर हैं।

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जिला में कहां हैं किले

नगरकोट किला कांगड़ा महाराजा संसार चंद

नूरपुर का किला राजा जगत सिंह

कोटला का किला राजा हरि चंद

मऊ (जवाली) का किला राजा जगत सिंह

हरिपुर का किला राजा हरि चंद

रेहलू का किला चंबा रियासत

मानगढ़ का किला राजा हरि चंद

कुछ किलों में चला है संरक्षण कार्य

कुछ किलों में संरक्षण का कार्य चला हुआ है। साफ सफाई भी करवाई जा रही है। कोई बड़ा बजट किलों के रखरखाव के लिए विभाग के पास नहीं है। नगरकोट, नूरपुर व कोटला किला पुरातत्व विभाग के अधीन है।

-पीएल मीणा, अधीक्षण पुरातत्व विभाग शिमला।

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केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय से उठाया है मुद्दा

अधिकतर धरोहरें पुरातत्व विभाग के अधीन हैं। कई बार योजनाएं बनाई गई और धन का प्रावधान भी किया गया, लेकिन बिना पुरातत्व विभाग की स्वीकृति के योजनाओं को सिरे नहीं चढ़ाया जा सका। अभी हाल ही में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के समक्ष भी मुद्दा उठाया गया है। यह मांग की गई है कि या तो पुरातत्व विभाग धरोहरों को पूरी तरह से सहेजे या फिर पर्यटन विभाग को कुछ योजनाओं पर काम करने दिया जाए।

-मेजर विजय सिंह मनकोटिया, उपाध्यक्ष पर्यटन विकास निगम।

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