क्रैश बैरियर होते तो न जाती फार्मासिस्ट की जान

स स्थान पर कार अनियंत्रित होकर खाई में गिरी उस स्थान पर भी क्रैश बैरियर नहीं लगाए गए थे। यदि उक्त स्थान पर क्रैश बैरियर लगे होते तो शायद यह हादसा होने से टल सकता था तथा इसमें न तो व्यक्ति की जान जाती और न ही कार में सवार सदस्य गंभीर घायल होते। अब इसे विभाग की लापरवाही कहें या सरकार की अनदेखी। लेकिन लोगों के जख्मों की भरपाई कैसे होगी। हालांकि हादसा होने के बाद सरकार और संबंधित विभाग की ओर से क्रैश बैरियर ल

By JagranEdited By: Publish:Mon, 08 Jul 2019 06:08 PM (IST) Updated:Mon, 08 Jul 2019 06:08 PM (IST)
क्रैश बैरियर होते तो न जाती फार्मासिस्ट की जान
क्रैश बैरियर होते तो न जाती फार्मासिस्ट की जान

संवाद सहयोगी, चंबा : चंबा-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर चाहला के पास रविवार रात जो हादसा शायद न होता, अगर क्रैश बैरियर या पैरापिट होते। चाहला में कार हादसा होने के बाद स्थानीय लोगों की जुबान पर यही शब्द थे। जिस स्थान पर कार अनियंत्रित होकर खाई में गिरी, उस स्थान पर भी क्रैश बैरियर नहीं लगाए गए थे। यदि उक्त स्थान पर क्रैश बैरियर लगे होते तो शायद यह हादसा होने से टल सकता था तथा इसमें न तो फार्मासिस्ट की जान जाती और न ही कार सवार अन्य तीन लोग गंभीर रूप से घायल होते। अब इसे विभाग की लापरवाही कहें या सरकार की अनदेखी। लेकिन लोगों के जख्मों की भरपाई कैसे होगी। हालांकि हादसा होने के बाद सरकार और संबंधित विभाग की ओर से क्रैश बैरियर लगाने की बात तो कही जाती है, लेकिन उसके बाद किस स्तर के प्रयास किए जाते हैं, इससे सभी वाकिफ हैं। चंबा जिला की अधिकतर सड़कें सर्पीली, तंग व खस्ताहाल हैं। इन सड़कों पर जरा सी चूक भी कई जिदगियों को निगल जाती है तथा कई परिवारों को कभी न भूलने वाले जख्म दे जाती है। एक तो तंग सड़कें व दूसरी और गहरी खाई, मतलब यहां पर चूक सुधार के लिए कोई भी मौका नहीं मिल पाता। लोग भी समय-समय पर सड़कों पर क्रैश बैरियर लगाने की मांग उठाते हैं। लेकिन इसके बावजूद सड़कों पर पर्याप्त क्रैश बैरियर न लगाए जाना विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। यदि इन हादसों के बाद भी एनएच अथॉरिटी ने सीख न ली तो आने वाले समय में ऐसे ही कई और सड़क हादसे हो सकते हैं। इसमें कई मासूमों को अकाल मृत्यु का शिकार होना पड़ सकता है।

chat bot
आपका साथी