सृष्टि व हरि भिन्न नहीं : महात्मा

संवाद सहयोगी, चंबा : संत निरंकारी भवन मुगला में रविवार को सत्संग में महात्मा विशन चरण ने प्रवचनों से

By Edited By: Publish:Mon, 16 Jan 2017 01:02 AM (IST) Updated:Mon, 16 Jan 2017 01:02 AM (IST)
सृष्टि व हरि भिन्न नहीं : महात्मा
सृष्टि व हरि भिन्न नहीं : महात्मा

संवाद सहयोगी, चंबा : संत निरंकारी भवन मुगला में रविवार को सत्संग में महात्मा विशन चरण ने प्रवचनों से संगत को निहाल किया। उन्होंने कहा कि सत्संग सुनने से कष्ट दूर होते हैं। मनुष्य को अपनी दिनचर्या में प्रभु के लिए समय निकालना चाहिए। प्रभु को याद करने मात्र से ही दुख दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि परमात्मा रूप यह पृथ्वी भी अखंड है, इसे खंड-खंड में नहीं देखा जा सकता है। यह एक ही परमेश्वर की अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि जैसे ही यह शरीर पूर्ण तथा सुंदर है। यदि इसके अंगों को भिन्न-भिन्न मान लिया जाए व शरीर के प्रत्येक अंग को एक-दूसरे के विरुद्ध कर दिया जाए तो शरीर की क्या दशा होगी। जिस तरह शरीर के विभिन्न अंगों में एकत्व का बोध उसमें स्थित आत्मा से ही होता है। उसी प्रकार सृष्टि में एकत्व का बोध करवाने वाला परमात्मा ही है। ये भिन्न-भिन्न उपाधियां अज्ञान के कारण ही दिए गए हैं। सृष्टि व हरि भिन्न नहीं हैं, यह परमात्मा ही है, यह संसार उसी का फैलाव है जब पूर्ण गुरु की कृपा द्वारा यह दिव्य ज्ञान भक्त को प्राप्त होता है, तभी समझ में आता है और ²ष्टि बदल जाती है।

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