बंदला की खूबसूरती बदल सकती है बिलासपुर का भाग्य
बिलासपुर के सिहडा व बंदला इलाके में पर्यटन की संभावनाओं को विकसित करने की जरूरत है।
बिलासपुर, राजेश्वर ठाकुर। बिलासपुर शहर से करीब 10 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बाद सिहडा और उसके बाद बंदला गांव आता है। दोनों गांवों के चारों ओर खूबसूरत पहाड़ियां हैं। पहाड़ियों पर स्थित मंदिर में बजती घंटियों की आवाज हर किसी को अपनी ओर खींच लाती है। मैदानी इलाकों से पहाड़ का रुख करने वाले सैलानियों के लिए यहां वे सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं जो पर्यटन स्थलों में होती हैं। बंदला व सिहडा में पहुंचते ही ठंडक महसूस होने लगती है।
यहां रहने वाले लोग दिन में भी पूरे बाजू की स्वेटर पहनने लगे हैं। पर्यटकों को सिहडा व बंदला पहुंचने के लिए अच्छा संपर्क मार्ग है और ठहरने के लिए बेहतरीन सुविधा भी है। लेकिन यहां अभी भी बहुत कुछ होना बाकी है ताकि पर्यटकों के यहां आने से स्थानीय लोगों की आर्थिकी मजबूत हो सके। हैरानी की बात है वन विभाग का विश्राम गृह बनाने में ही 11 वर्ष लग गए। विधायक सुभाष ठाकुर ने कहा उन्होंने इस क्षेत्र में पैराग्लाइडिंग सहित साहसिक खेलें करवाने का प्रयास शुरू कर दिया है।
आने वाले दिनों में इस इलाके को शेष भारत के पर्यटन मानचित्र से जोड़ने के लिए प्रयास करेंगे। प्रदेश सरकार से इस इलाके में सुविधाएं जुटाने के प्रयास किए जा रहे हैं। बिलासपुर को मरूस्थल कहा जाता है। चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाइवे पर बसे बिलासपुर शहर में पर्यटक नहीं टिकते हैं। यहां ऐसा कुछ नहीं है जिससे पर्यटक कुछ दिन के लिए बिलासपुर में रुक सकें। यदि पर्यटक रुकेंगे तो यहां पर अधिक होटल खुलेंगे। इससे सरकार को भी अच्छी आय होगी। बिलासपुर शहर में इक्का दुक्का होटल हैं। इनमें भी पर्यटकों के लिए खास सुविधाएं नहीं हैं और न ही पार्किंग सही ढंग की है। यही कारण है पर्यटक यहां 24 घंटे भी नहीं रुकते हैं।
तत्कालीन सरकार ने बिलासपुर में कृत्रिम झील बनाने जैसे बडे़-बडे़ सपने दिखाए थे। लेकिन वास्तव में कुछ नहीं हुआ। सिहडा व बंदला के साथ भी ऐसा ही हुआ है। दोनों इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर सरकार की ओर से शून्य प्रयास हुए हैं। करीब 11 वर्ष में बना वन विभाग का विश्राम गृह भी सूना है। तत्कालीन मंत्री रामलाल ठाकुर ने इसका शिलान्यास किया था। उस समय तिलकराज शर्मा यहां के विधायक थे। विधायक बंबर ठाकुर के कार्यकाल में विश्राम गृह तैयार हुआ।
यहां तैनात चौकीदार दौलत राम ने बताया साल में कभी कभार कोई पर्यटक इस तरफ आता है। दिन में कॉलेज के छात्र-छात्राएं कुरकुरे हाथ में लेकर यहां पहुंचते हैं और कुछ देर रुकने के बाद वापस चले जाते हैं। पर्यटक तभी आएंगे जब उन्हें आसपास की खूबसूरती वादियों तक पहुंचने और ठहरने की व्यवस्था हो। दुकानदार विपिन ठाकुर कहते हैं यहां के नेताओं ने पर्यटन की संभावनाओं को विकसित करना तो दूर इलाके के लोगों को सामान्य सुविधाएं मुहैया करवाने की भी जहमत नहीं उठाई है। उन्होंने कहा यदि सरकार प्रयास करे तो बंदला की खूबसूरती बिलासपुर का भाग्य बदल सकती है।