ताकि आपकी गर्दन न झुकने पाए

बीते कुछ सालों से गर्दन में अकड़न या दर्द की शिकायत लेकर 'ओपीडी' में पहुंचने वाले लोगों की सख्या काफी बढ़ रही है। तमाम लोग तो पीड़ा के चलते गर्दन को सीधा नहीं रख पाते।

By Edited By: Publish:Tue, 17 Apr 2012 11:14 AM (IST) Updated:Tue, 17 Apr 2012 11:14 AM (IST)
ताकि आपकी गर्दन न झुकने पाए

बीते कुछ सालों से गर्दन में अकड़न या दर्द की शिकायत लेकर 'ओपीडी' में पहुंचने वाले लोगों की सख्या काफी बढ़ रही है। तमाम लोग तो पीड़ा के चलते गर्दन को सीधा नहीं रख पाते। सिर्फ छोटे बच्चों को छोड़ दें तो हर आयु वर्ग के लोग गर्दन सबधी पीड़ा के शिकार हो रहे हैं। गर्दन संबंधी शिकायतों को आम भाषा में सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस कहा जाता है।

रोग का स्वरूप

यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारी बदलती जीवन-शैली के कारण अब यह समस्या सामान्य हो चुकी है। कई बार गर्दन की मासपेशियों में अकड़न इतनी बढ़ जाती है कि ये आसपास की नसों को भी दबा देती है। लिहाजा गर्दन में दर्द के साथ-साथ हम हाथों में भी दर्द, झनझनाहट की परेशानी से दोचार होने लगते हैं। यही नहीं, कन्धों में दर्द की तकलीफ भी इसी के कारण होती है।

जटिलताएं

चिता की बात यह है कि अगर सही समय पर सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस का उचित उपचार नहीं किया जाए, तो इसे जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता। इस सदर्भ में दूसरी सबसे जरूरी बात यह है कि लम्बे समय तक इस दर्द के प्रति लापरवाही बरतने के कारण गर्दन की डिस्क बाहर आ सकती है। ऐसी दशा में डिस्क को यथास्थान पहुचाने के लिए ऑपरेशन करवाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि गर्दन में अकडन या दर्द की तकलीफ होने पर तत्काल सही उपचार कराएं।

लक्षण

-गर्दन में दर्द और जकड़न।

-गर्दन का स्थिर हो जाना या फिर कम गतिशील होना।

-गर्दन का बहुत कम घूमना या फिर न घूमना।

-हाथ में झनझनाहट, दर्द या अकडन होना।

-उंगलियों या हथेलियों का सुन्न हो जाना।

-बार-बार चक्कर आना।

कारण

-देर तक सिर झुकाकर पढ़ना या फिर कंप्यूटर पर देर तक काम करना।

-हमेशा आरामदेह बिस्तर पर सोना।

-सोते समय ऊंचा तकिया लगाना।

-गद्देदार कुर्सी पर देर तक बैठना या फिर तकिए के बगैर सोना।

-शरीर में विटामिन डी की कमी होना।

-काफी वक्त तक बैठकर कपडे धोना, सिलाई-कढ़ाई आदि करना।

उपचार

-डॉक्टर के परामर्श से मासपेशियों को राहत देने वाली दवा ले सकते हैं।

-तौलिये को गर्म पानी में भिगोकर सिकाई कर सकते हैं।

-दर्द ज्यादा है तो पानी में थोड़ा नमक मिलाकर सिकाई करें।

-फिजियोथेरैपी का विकल्प भी बेहद कारगर है।

-डॉक्टर के परामर्श से ही दर्द निवारक दवाएं लें।

सजगता ही उपाय है

-सेल फोन पर बात करते वक्त गर्दन को सीधा रखें। वाहन चलाते वक्त गर्दन ठेढ़ी कर बात न करें। यह स्थिति गर्दन सबधी कई समस्याएं पैदा कर सकती है।

-दफ्तर में कंप्यूटर पर काम कर रहे हों या फिर पढ़ाई में व्यस्त हों, तब रीढ़ की हड्डी को हमेशा सीधी रखें।

-लम्बे समय तक गर्दन को एक ही मुद्रा में न रहने दें।

डॉ.निश्चल चुग अस्थि रोग विशेषज्ञ

आर्थोनोवा हॉस्पिटल, नई दिल्ली

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