हेपेटाइटिस-सी से नहीं जाएगी जान

हेपेटाइटिस-सी से पीडि़त लोगों के लिए अच्छी खबर है। अब यह बीमारी जानलेवा साबित नहीं होगी क्योंकि इसके इलाज के लिए सस्ती और कारगर दवा आ गई है। यह दवा दिल्ली के करीब सभी बड़े अस्पतालों में उपलब्ध हो गई है। पुरानी दवाएं हेपेटाइटिस-सी के इलाज में कारगर नहीं थी

By Babita kashyapEdited By: Publish:Fri, 10 Apr 2015 12:44 PM (IST) Updated:Fri, 10 Apr 2015 12:51 PM (IST)
हेपेटाइटिस-सी से नहीं जाएगी जान

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। हेपेटाइटिस-सी से पीडि़त लोगों के लिए अच्छी खबर है। अब यह बीमारी जानलेवा साबित नहीं होगी क्योंकि इसके इलाज के लिए सस्ती और कारगर दवा आ गई है। यह दवा दिल्ली के करीब सभी बड़े अस्पतालों में उपलब्ध हो गई है। पुरानी दवाएं हेपेटाइटिस-सी के इलाज में कारगर नहीं थी और नई दवा इतनी महंगी थी कि इलाज में एक करोड़ रुपये तक खर्च आता था। इसके चलते मरीज इलाज के बगैर दम तोडऩे को विवश थे।

सिर्फ 14 फीसद मरीज ठीक होते थे

गंगाराम अस्पताल ने देश में हेपेटाइटिस-सी के इलाज के लिए मौजूद दवाओं पर एक शोध किया था। इसमें पाया गया कि देश में मौजूद दवाओं से सिर्फ 14 फीसद मरीज ही ठीक हो पाते हैं। 777 मरीजों पर किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि 55 फीसद मरीज इलाज के लिए तब पहुंचते हैं जब बीमारी एडवांस स्टेज में पहुंच चुकी होती है। इसके चलते उनका इलाज नहीं हो पाता क्योंकि पुरानी दवाएं एडवांस स्टेज में पहुंचे मरीज के इलाज के लिए नहीं थीं। 45 फीसद मरीज ही ऐसे होते हैं जिन्हें दवा दी जा सकती है। इनमें से 20 फीसद मरीज ही दवा का कोर्स पूरा कर पाते थे। जबकि मात्र 14 फीसद मरीज ठीक हो पाते थे। इस तरह देश में हेपेटाइटिस-सी के इलाज के लिए कारगर दवा नहीं थी।

अमेरिका में उपलब्ध थी दवा

गंगाराम अस्पताल के गैस्ट्रोइंटेरोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉ. अनिल अरोड़ा ने कहा कि अमेरिका में इसके इलाज के लिए सोफोस्बुवीर दवा उपलब्ध थी। उसकी एक टेबलेट की कीमत 60 हजार रुपये थी। तीन से छह महीने तक हर रोज एक टेबलेट लेना होता है। ऐसे में इलाज पर 54 लाख से एक करोड़ खर्च आता था और विदेशों से मंगाना पड़ता था। इस वजह से सामान्य मरीज इसका फायदा नहीं उठा पा रहे थे। देश में पंजीकृत नहीं होने यह दवा मंगानी पड़ रही थी। जनवरी में इस दवा को केंद्र सरकार के ड्रग्स कंट्रोलर ने स्वीकृति दी। मार्च के मध्य में यह दवा बाजार में आनी शुरू हो गई और अब अस्पतालों में मिलने लगी है। इसके एक टेबलेट की कीमत घटकर करीब 500 रुपये रह गई है। इसलिए इलाज में दवा पर 45 से 90 हजार रुपया ही खर्च आएगा। डॉ. अरोड़ा ने कहा कि यह दवा करीब सौ फीसद मरीजों में कारगर है। इसके अलावा एडवांस स्टेज में पहुंच चुके मरीजों में भी असरदार है। देश में हेपेटाइटिस-सी के करीब 17 लाख मरीज हैं।

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