स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं अभिभावक, बोले- बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले
कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने पहली से आठवीं कक्षा तक स्कूलों को बंद कर दिया है।
जागरण संवाददाता, यमुनानगर : कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने पहली से आठवीं कक्षा तक स्कूलों को बंद कर दिया है। परंतु प्राइवेट स्कूल संचालक सरकार के इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं। संचालकों का कहना है कि वह स्कूलों को बंद करने के समर्थन में नहीं है। स्कूल बंद रखने से उन्हें काफी नुकसान होगा। अभिभावक सरकार के इस निर्णय के साथ खड़े हो गए हैं। उनका कहना है कि स्कूल केवल अपने हित देख रहे हैं। बच्चों की सुरक्षा से उन्हें कोई सरोकार नहीं है।
स्कूल खुलते तो भी बेटे को नहीं भेजते : सचिन
प्रोफेसर कालोनी निवासी सचिन का कहना है कि उनका बेटा शहर के प्राइवेट स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ता है। कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। सरकार ने स्कूल बंद करने का अच्छा निर्णय लिया है। हम सभी को सरकार के इस निर्णय का स्वागत करना चाहिए। यदि सरकार यह निर्णय नहीं लेती वह तब भी बेटे को स्कूल नहीं भेजते क्योंकि बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले है। स्कूल संचालक केवल अपना फायदा देख रहे हैं।
स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं : संजीव
बिलासपुर निवासी संजीव कुमार का कहना है कि माता-पिता के लिए बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले है। क्योंकि हर किसी का सपना होता है कि बच्चे पढ़ लिख कर उच्च पदों तक पहुंचे। यदि कोरोना वायरस के कारण बच्चों को कुछ हो गया तो पढ़ाई का क्या फायदा। वह स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं है। यदि स्कूल खोलने इतने ही जरूरत है तो ओड इवन का फार्मूला अपनाते हुए बच्चों को बुलाया जा सकता है।
बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले : नरेंद्र कुमार
रादौर के काबुलपुर गांव निवासी नरेंद्र कुमार का कहना है कि कोरोना वायरस के मामले बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं। अब तो बच्चे भी इस बीमारी की चपेट में आने लगे हैं। जब तक हालात सामान्य नहीं होते तब तक स्कूल बंद रहने चाहिए। बच्चे घर पर ज्यादा सुरक्षित हैं। क्योंकि स्कूल में तो बच्चे एक साथ बैठते हैं। ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा बहुत ज्यादा है। बच्चे घर पर ही सुरक्षित हैं।
अभी स्कूल नहीं भेजेंगे : ललित कुमार
मुस्तफाबाद निवासी ललित कुमार का कहना है बच्चों को पढ़ाने को लेकर दुविधा में हैं। क्योंकि बच्चों को स्कूल भेजते हैं तो कोरोना होने का खतरा है। घर बिठाते हैं तो उनका साल बर्बाद होता है। स्कूल तो आनलाइन पढ़ाई करवा कर पूरी फीस ले लेंगे। परंतु आनलाइन पढ़ाई से बच्चों को ज्यादा समझ तो नहीं आ रहा। फिर भी कोरोना वायरस को देखते हुए बच्चों को स्कूल भेजने का खतरा नहीं उठाएंगे।