शिव और सती का प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु

श्री गौरी शंकर मंदिर में श्रावण मास के पावन अवसर पर चल रही श्री शिव महापुराण कथा के अंतर्गत पंडित रामस्वरूप उपाध्याय ने शिव और सती की कथा का वर्णन किया। उपाध्याय ने कहा दक्ष प्रजापति की सभी पुत्रियां गुणवान थी। फिर भी दक्ष के मन में संतोष नहीं था।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 07:15 AM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 07:15 AM (IST)
शिव और सती का प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु
शिव और सती का प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु

संवाद सहयोगी, जगाधरी: श्री गौरी शंकर मंदिर में श्रावण मास के पावन अवसर पर चल रही श्री शिव महापुराण कथा के अंतर्गत पंडित रामस्वरूप उपाध्याय ने शिव और सती की कथा का वर्णन किया। उपाध्याय ने कहा दक्ष प्रजापति की सभी पुत्रियां गुणवान थी। फिर भी दक्ष के मन में संतोष नहीं था। वे चाहते थे, उनके घर में एक ऐसी पुत्री का जन्म हो, जो सर्वशक्ति संपन्न हो एवं सर्व विजयी हो। दक्ष एक ऐसी ही पुत्री के लिए तप करने लगे। तप करते-करते अधिक दिन बीत गए, तो भगवती आद्या ने प्रकट कर कहा कि मैं तुम्हारे तप से प्रसन्न हूं। दक्ष ने तप करने का कारण बताया, मां बोली मैं स्वयं पुत्री रूप में तुम्हारे यहां जन्म धारण करुंगी। मेरा नाम होगा सती। मैं सती के रूप में जन्म लेकर अपनी लीलाओं का विस्तार करुंगी। भगवती आद्या ने सती रूप में दक्ष के यहां जन्म लिया। सती दक्ष की सभी पुत्रियों में सबसे आलौकिक थी। बाल्यवस्था में ही ऐसे आलौकिक आश्चर्य चकित करने वाले कार्य दिखाएं थे, जिन्हें देखकर स्वयं दक्ष को भी विस्मयता होती रहती थी। जब सती विवाह योग्य हो गई, तो दक्ष को उसके लिए वर की चिता होने लगी। उन्होंने ब्रह्मा जी से इस विषय में परामर्श लिया। ब्रह्मा जी ने कहा कि सती आद्या की अवतार है। आदि शक्ति और शिव आदि पुरुष है। सती के विवाह के लिए शिव ही योग्य और उचित वर है। दक्ष ने ब्रह्मा जी की बात मानकर सती का विवाह भगवान शिव के साथ कर दिया। सती कैलाश में जाकर भगवान के साथ रहने लगी।

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