डिप्टी मैनेजर व खरीद अधिकारी कंपनी से चुराते थे इलेक्ट्रोड, फिर फर्जी बिलों पर दिखाते खरीद

इस्जैक कंपनी में 84 लाख 24 हजार रुपये का घपला हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 Aug 2020 05:40 AM (IST) Updated:Sat, 15 Aug 2020 06:15 AM (IST)
डिप्टी मैनेजर व खरीद अधिकारी कंपनी से चुराते थे इलेक्ट्रोड, फिर फर्जी बिलों पर दिखाते खरीद
डिप्टी मैनेजर व खरीद अधिकारी कंपनी से चुराते थे इलेक्ट्रोड, फिर फर्जी बिलों पर दिखाते खरीद

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

इस्जैक कंपनी में 84 लाख 24 हजार रुपये का घपला हुआ है। आरोप कंपनी में डिप्टी मैनेजर सरोजनी कालोनी के मयंक सिगला, पलवल के गंगा विहार कालोनी के विक्रम सेन पर लगा है। इन्होंने चंडीगढ़ के शांतिनगर के राकेश भारद्वाज और शहर के विश्वकर्मा चौक निवासी विकास अग्रवाल से मिलीभगत कर घपला किया। मयंक व विक्रम सेन कंपनी से इलेक्ट्रोड चोरी करते थे, फिर फर्जी बिल पर उसे कंपनी में खरीद दिखाते थे।

बॉयलर बनाने वाली इस्जैक कंपनी की इकाई रतनगढ़ और यमुनानगर में है। निर्माण में होनावर इलेक्ट्रोड कंपनी से इलेक्ट्रोड प्रयोग होता है। वर्ष 2019 तक वेल्डिंग विभाग के हेड डिप्टी मैनेजर मयंक सिंगला और विक्रम सेन खरीद अधिकारी के पद पर तैनात थे। रतनगढ़ में सामान खरीदकर रखा जाता है। इसका रिकॉर्ड कंप्यूटर के ईआरपी सॉफ्टवेयर में दर्ज होता है। इसमें ही घपला हुआ। मयंक सिगला वेल्डिग इलेक्ट्रोड व दूसरे इलेक्ट्रोड अपने नाम जारी कर लघु स्टोर में रखता था। वेल्डरों को इलेक्ट्रोड जारी करने के बारे में सहायक क्लर्को की नियुक्ति है। वह रजिस्टर में रिकॉर्ड दर्ज करते थे कि किस वेल्डर को कितने इलेक्ट्रोड किस दिन जारी किए गए। मयंक सिगला की जिम्मेदारी थी कि वह रजिस्टर के आधार पर जारी किए गए इलेक्ट्रोड और कंप्यूटर में संख्या दर्ज कर लघु स्टोर में स्टॉक का हिसाब रखे, लेकिन वह खपत के अनुसार में एंट्री नहीं करता था। वेल्डिग इलेक्ट्रोड का गलत रिकॉर्ड दर्ज करता था। डिलिवरी के बहाने कार से बाहर निकलता

जब कंपनी ने स्टाक जांचा तो इसमें स्टाक व खपत में काफी अंतर मिला। जांच में सामने आया कि मयंक ने वेल्डिग इलेक्ट्रोड की यमुनानगर इकाई में जरूरत दिखाकर रतनगढ़ स्टोर से अपनी गाड़ी में डिलिवरी के बहाने से बाहर निकलता था। इलेक्ट्रोड 2440 रुपये प्रति किलोग्राम है। इस इलेक्ट्रोड को वह अपने पास रखता था। रास्ते में वह उतने ही सस्ते इलेक्ट्रोड के डिब्बे 200 रुपये प्रति किलो वाले जमा कर लेता था। सिक्योरिटी केवल डिब्बे गिनती थी। मयंक ने पद का दुरुपयोग करते हुए महंगे इलेक्ट्रोड रास्ते में बदला।

इस तरह से किया घपला

अधिकारियों ने जब गहराई से जांच की तो पता चला कि घपले में मयंक के साथ विक्रम सेन भी शामिल है। दरअसल, मयंक महंगे इलेक्ट्रोड चंडीगढ़ ट्रेडिग हाउस फर्म के संचालक राकेश भारद्वाज को बेच देता। सेन बिना स्वीकृति के वेल्डिग इलेक्ट्रोड को खरीदने के आदेश चंडीगढ़ ट्रेडिग हाउस के नाम जारी करता था। जबकि चंडीगढ़ ट्रेडिग हाउस कंपनी का अधिकृत डीलर नहीं है। कंपनी की ओर से सेन को हिदायत दी गई थी कि वह अनाधिकृत डीलर से सामान नहीं खरीदेगा, लेकिन फिर भी बिना मंजूरी के चंडीगढ़ ट्रेडिग हाउस से चोरीशुदा इलेक्ट्रोड खरीदे। जांच में सामने आया कि जिस कंपनी ने सामान बेचे, वह वेल्डिग इलेक्ट्रोड होनोवर कंपनी के थे, जबकि चंडीगढ़ ट्रेडिग कंपनी को उन्होंने यह सामान नहीं बेचा। राकेश भारद्वाज ने होनोवर कंपनी के वल्डिंग इलेक्ट्रोड खरीदने के फर्जी बिल विकास अग्रवाल की फर्म अग्रवाल इलेक्ट्रोड से लिए। बिना माल बेचे ही फर्जी बिल जारी किए। छह हजार वेल्डिंग इलेक्ट्रोड का घपला

कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट सतीश भाटिया ने बताया कि मयंक सिगला ने 22 मई 2018 से अक्टूबर 2019 की अवधि में छह हजार 877 किलोग्राम वेल्डिंग इलेक्ट्रोड चोरी किए गए। चोरी को छिपाने के लिए सिगला ने मई 2018 से अक्टूबर 2018 के खपत रजिस्टर भी चोरी कर लिए। जांच में पता लगा कि 17 अक्टूबर 2018 से अक्टूबर 2019 तक तीन हजार 450 ग्राम की खपत हुई। बकाया 927 किलोग्राम मयंक सिगला के पास होने चाहिए थे। लेकिन स्टोर में गायब मिले। कंपनी के अधिकारियों ने सिगला के बैंक खातों की जांच की, तो पता चला कि उसने अपनी पत्नी के खाते में 22 मई 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक 42 लाख रुपये की एफडी कराई गई है। इस पूरे घपले में मयंक सिगला, विक्रम सेन, राकेश भारद्वाज व विकास अग्रवाल शामिल हैं।

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