दीवार फांदकर डेयरी में घुसे हत्यारे, बेरहमी से काटा मोहन का चेहरा

कैल डेयरी कांप्लेक्स में विट्ठल दास की डेयरी पर मोहन लंबे समय से कार्य कर रहा था। पहले उनकी संजय विहार में डेयरी थी। नगर निगम की सख्ती के बाद डेयरियों को शहर के बाहर शिफ्ट किया गया। इसके बाद से विट्ठल दास ने कैल कांप्लेक्स में डेयरी शिफ्ट कर ली थी। जिस प्लॉट पर डेयरी है, वह भी उनके भाई शंकर शास्त्री के नाम पर है। शंकर शास्त्री सनातन धर्म मंदिर में पुजारी हैं। इस वर्ष में मोहन की पहली हत्या है। गत वर्ष 30 से ज्यादा हत्याएं हुई। जिनमें से कई अनसुलझी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jan 2019 11:38 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jan 2019 11:38 PM (IST)
दीवार फांदकर डेयरी में घुसे हत्यारे, बेरहमी से काटा मोहन का चेहरा
दीवार फांदकर डेयरी में घुसे हत्यारे, बेरहमी से काटा मोहन का चेहरा

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

कैल डेयरी कांप्लेक्स में विट्ठल दास की डेयरी पर मोहन लंबे समय से कार्य कर रहा था। पहले उनकी संजय विहार में डेयरी थी। नगर निगम की सख्ती के बाद डेयरियों को शहर के बाहर शिफ्ट किया गया। इसके बाद से विट्ठल दास ने कैल कांप्लेक्स में डेयरी शिफ्ट कर ली थी। जिस प्लॉट पर डेयरी है, वह भी उनके भाई शंकर शास्त्री के नाम पर है। शंकर शास्त्री सनातन धर्म मंदिर में पुजारी हैं। इस वर्ष में मोहन की पहली हत्या है। गत वर्ष 30 से ज्यादा हत्याएं हुई। जिनमें से कई अनसुलझी है।

विट्ठल दास के मुताबिक, 20 साल से मोहन उनके पास कार्य कर रहा था। यहां पर वह रात को अकेला रहता था। शाम करीब छह बजे विट्ठल दास मुख्य गेट पर लगाने के बाद दूध लेकर चला जाता था। इस गेट की एक चाबी मोहन के पास रहती थी। सुबह करीब सात बजे विट्ठल दास डेयरी में पहुंचता था। इतने लंबे समय से वह यहां रह रहा था। कभी किसी से कोई दुश्मनी या विवाद की बात सामने नहीं आई। जिस कमरे में मोहन रहता था। उसका गेट बंद नहीं होता था। इस कमरे में एक साइड में पशुओं के लिए भूसा भरा हुआ है। जबकि कमरे के ही एक हिस्से में मोहन रहता था। 15 पशु इस डेयरी में थे। जिनकी देखभाल विट्ठल दास व मोहन दोनों ही करते थे।

भाई चलाता है रिक्शा

मृतक मोहन का भाई गंगाराम अपने परिवार के साथ बैंक कॉलोनी में रहता था। वह रिक्शा चलाता है। उसके पास एक बेटा व बेटी हैं। गंगाराम ने बताया कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। पहले संजय विहार कॉलोनी में डेयरी थी, तो मोहन उनके पास आ जाता था। जब से कैल डेयरी शिफ्ट हुई, तब से वह उनके पास भी नहीं आ रहा था। कैल से उनका घर भी करीब दस-12 किमी पड़ता है। दूर होने की वजह से वह उनके पास नहीं आते थे। भैयादूज पर वह घर आए थे। इसके बाद से नहीं आए।

दो माह से नहीं मिला था वेतन

मृतक मोहन की शादी नहीं हुई थी। वह नौकरी से मिलने वाला पैसा भी गंगाराम व उसकी पत्नी को देता था। गंगाराम ने बताया कि दो माह से उसे वेतन भी नहीं मिला था। विट्ठल दास ने बताया कि उनके भाई के बच्चे विदेश गए थे। इसलिए हाथ तंग था। जिस कारण उसे वेतन नहीं दे पाए थे। इस बारे में उसे कह दिया था। वह लंबे समय से उनके पास रहता था। इसलिए उससे कोई बात छिपी नहीं थी। चार हजार रुपये उसे वेतन दिया जाता था। दिन में उसका खाना लेकर भी विट्ठल दास ही आते थे।

शंकर शास्त्री के साले की भी हुई थी हत्या

डेयरी संचालक शंकर शास्त्री के साले राधेश्याम की भी करीब दो साल पहले हत्या कर दी गई थी। वह पुराना हमीदा में भगत फैब्रीकेट फैक्ट्री में चौकीदार था। उसकी हत्या करने के बाद शव को पास ही खेतों में फेंक दिया गया था। यह केस अभी तक अनसुलझा है।

डेयरी कांप्लेक्स में पहले भी हो चुकी है हत्या

करीब छह साल पहले दड़वा डेयरी कॉम्प्लेक्स में चमन लाल की तेजधार दार हथियारों से काट कर हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद से पशु पालक डेयरी कॉम्प्लेक्स में जाने से डरने लगे थे। कांप्लेक्स में गतिविधियां रुक गई थी। अभी तक डेयरी संचालक इस घटना से उबर नहीं पाए थे कि मोहन की हत्या हो गई। संचालक विकास कार्यों के साथ साथ सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठा रहे हैं।

रंजिशन की गई हत्या

मोहन की हत्या रंजिशन की गई है। उसके शव पर धारदार हथियार से वार किए गए हैं। शव भी उसका चारपाई पर पड़ा हुआ था। जिससे साफ है कि हत्यारों ने उस पर सोते हुए हमला किया। उसे उठने तक का मौका नहीं मिला। एक दम से कई वार उसके चेहरे पर किए गए। इसमें उसकी एक हाथ की अंगुली भी कट गई थी। हत्यारे भी दीवार फांदकर डेयरी में घुसे थे, क्योंकि विट्ठल दास जब सुबह पहुंचा, तो गेट बंद था।

कुछ दिन पहले नशेडि़यों को भी रोका था

जहां पर डेयरी बनी हुई है। वहां से रास्ता श्मसान घाट व दादूपुर नलवी नहर पर निकलता है। यहां से नशेड़ी भी रोजाना आते थे और श्मसान घाट व नहर के किनारे पर बैठे रहते थे। बताया जाता है कि कुछ दिन पहले मोहन ने नशेड़ियों को टोका था। जिसको लेकर उसका विवाद हुआ था।

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