नहीं मिल रहे 'आयुष्मान', सात साल पुराने पते पर ढूंढ़ रहा स्वास्थ्य विभाग

स्वास्थ्य विभाग को आयुष्मान भारत के पात्रों को तलाशने में स्वास्थ्य विभाग को परेशानी आ रही है, क्योंकि योजना के तहत जिन पात्रों की सूची तैयार की गई थी। उनमें से अधिकतर ने अपना पता बदल लिया है। अब ऐसे परिवारों को तलाश करना विभाग के लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Aug 2018 01:11 AM (IST) Updated:Tue, 07 Aug 2018 01:11 AM (IST)
नहीं मिल रहे 'आयुष्मान', सात साल पुराने पते पर ढूंढ़ रहा स्वास्थ्य विभाग
नहीं मिल रहे 'आयुष्मान', सात साल पुराने पते पर ढूंढ़ रहा स्वास्थ्य विभाग

जागरण संवाददाता, यमुनानगर :

आयुष्मान भारत के पात्रों को तलाशने में स्वास्थ्य विभाग को परेशानी आ रही है, क्योंकि योजना के तहत जिन पात्रों की सूची तैयार की गई थी। उनमें से अधिकतर ने अपना पता बदल लिया है। अब ऐसे परिवारों को तलाश करना विभाग के लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है। यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में दस प्रतिशत ऐसे परिवार हैं, जिनका पता विभाग को नहीं मिल रहा है। 15 अगस्त से आयुष्मान भारत योजना केंद्र सरकार शुरू कर रही है। स्वास्थ्य विभाग ने पिछले दिनों आइएमए की मी¨टग कर पैनल के लिए आवेदन करने के भी निर्देश दिए थे। अब जिले के प्राइवेट अस्पतालों ने आवेदन कर दिया। उनकी सूची राज्य सरकार से विभाग को मिलेगी। जिसके बाद उनके आवेदनों के दावों की जांच होगी।

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2011 की जनगणना के आधार पर हुआ था चयन

आयुष्मान भारत के लिए पात्रों का चयन 2011 की जातिगत जनगणना के आधार पर किया गया। इसके तहत यमुनानगर में 93 परिवारों का चयन इस योजना के लिए किया गया। इनमें शहरी क्षेत्र के 41 हजार व ग्रामीण क्षेत्र के 52 हजार परिवारों योजना में शामिल किया गया है। सात साल पहले हुए सर्वे के आधार पर जिन परिवारों का चयन किया गया। अब उन परिवारों में काफी बदलाव आ चुका है। मसलन किसी परिवार में सदस्य बढ़ चुके हैं, तो किसी परिवार में सदस्य घट चुके हैं। कुछ ऐसे भी परिवार हैं, जो यहां जा चुके हैं।

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दूसरे प्रदेशों के भी रहते हैं लोग

प्लाइवुड व मेटल इंडस्ट्री होने की वजह से यहां पर बिहार, उत्तर प्रदेश समेत आसपास के जिलों से भी श्रमिक मजदूरी करने के लिए आते हैं। सात साल पहले जब सर्वे हुआ, तो इन परिवारों का आर्थिक व जातिगत आधार पर चयन किया गया। लेकिन अब इनमें से बहुत से परिवार वापस अपने राज्यों में लौट गए हैं। जिनका पता लगाने में स्वास्थ्य विभाग को कसरत करनी पड़ रही है। यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों में 10 प्रतिशत परिवारों का पता विभाग को नहीं मिला है। शहरी एरिया में स्थिति इससे भी खराब है। अब विभाग आशाओं के जरिए ऐसे परिवारों का पता लगवा रहा है।

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फर्जीवाड़ा रोकने के लिए बॉयोमीट्रिक से होगा इलाज

आयुष्मान भारत में आने वाले पात्र किसी तरह से फर्जीवाड़ा न कर सके। इसके लिए अस्पताल में उनकी बॉयोमीट्रिक से पहचान होगी। साथ ही इलाज से पूर्व उसका फोटो लिया जाएगा। जिसे हरियाणा हेल्थ प्रोटेक्शन अथॉरिटी को भेजा जाएगा। 15 दिन में संबंधित अस्पताल को इलाज में हुए खर्च का ऑनलाइन भुगतान मिलेगा। प्रदेश सरकार का 70 प्रतिशत परिवारों को इस योजना के तहत कवर करने का लक्ष्य है। कोट्स

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ग्रामीण क्षेत्रों में 90 प्रतिशत परिवारों की पहचान कर ली गई है। शहरी क्षेत्र में कुछ दिक्कत आ रही है। क्योंकि शहर में बहुत से परिवार किराए पर रहते हैं। ऐसे में वह अपना पता बदल लेते हैं। इसके लिए आशाओं को लगाया गया है। पैनल पर आने वाले अस्पतालों की भी जांच की जाएगी। उनकी लिस्ट अभी राज्य सरकार से नहीं आई है।

-डॉ. कुलदीप, सिविल सर्जन, यमुनानगर।

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