प्लॉट की फर्जी रजिस्ट्री कराने वालों पर नहीं हो रही कार्रवाई

40 लाख के प्लॉट की फर्जी तस्दीक श्और रजिस्ट्री करने के मामले में पूर्व तहसीलदार सहित 14 लोगों पर केस दर्ज हो चुका है लेकिन अभी तक पुलिस ने आगे कोई कार्रवाई नहीं की है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 07 Dec 2019 07:30 AM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 07:30 AM (IST)
प्लॉट की फर्जी रजिस्ट्री कराने वालों पर नहीं हो रही कार्रवाई
प्लॉट की फर्जी रजिस्ट्री कराने वालों पर नहीं हो रही कार्रवाई

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : 40 लाख के प्लॉट की फर्जी तस्दीक श्और रजिस्ट्री करने के मामले में पूर्व तहसीलदार सहित 14 लोगों पर केस दर्ज हो चुका है, लेकिन अभी तक पुलिस ने आगे कोई कार्रवाई नहीं की है। दशमेश कॉलोनी के तेजपाल की शिकायत पर नगर निगम की पूर्व मेयर सरोज बाला, पार्षद अजय बिल्लू, पूर्व तहसीलदार दर्शन सिंह व कई पर विभिन्न धाराओं के तहत कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज हुआ था। अब पीड़ितों की ओर से एसपी को शिकायत दी गई है।

तेजपाल ने गोबिदपुरी निवासी प्रयागराज से दो प्लाट खरीदे थे, जिसमें से एक प्लाट की रजिस्ट्री उसने 16 जनवरी 1987 को अपने नाम करा ली थी, जबकि दूसरे प्लाट के पूरा पेमेंट का इकरारनामा 25 नवंबर 1994 को खरीद किया था। उसने इस प्लॉट पर अपना कब्जा ले लिया था। परंतु प्रयागराज की मृत्यु होने के कारण इस प्लाट की रजिस्ट्री उसके नाम नहीं हो सकी। तब से आज तक वह इस प्लाट में एक कमरा व शौचालय बनाकर परिवार सहित रह रहा है। 15 साल से वह इस प्लाट का हाउस टैक्स भी नगर निगम में जमा कर रहा है। कब्जा होने के कारण इस प्लाट की असेसमेंट भी उसके नाम हो गई थी। प्लाट में बिजली निगम ने मीटर भी लगा रखा है। दशमेश कॉलोनी का ही हेमंत कुमार व भूपेंद्र कुमार उसके भांजे हैं। उनको पता था कि प्रयागराज की मृत्यु हो चुकी है व उनका कोई वारिस नहीं है इसलिए दोनों ने उसके प्लाट को हड़पने का षड़यंत्र रचा। नगर निगम के अधिकारियों के साथ मिलकर उसके प्लॉट की असेसमेंट 13 मार्च 2014 को अपने नाम करा ली थी। इसके बाद हेमंत व भूपेंद्र ने इस प्लाट को न्यू आबाद कैंप निवासी विनय मनचंदा को बेच दिया। विनय ने बैंक कर्मचारियों के साथ मिलकर उसके प्लाट पर लोन ले लिया, जिसे आज तक नहीं भरा गया। आरोप है कि लोन देते समय बैंक कर्मचारियों ने प्लाट के दस्तावेजों की जांच नहीं की। आरोपितों के साथ फर्जी दस्तावेज तैयार कर लोन दिया गया। तेजपाल ने बताया कि उसे इस फर्जीवाड़े का पता चला तो उसने एक साल में कई बार पुलिस को शिकायत दी परंतु कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में उन्होंने कोर्ट से केस दर्ज कराया। तेजपाल का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज हुआ, लेकिन पुलिस ने इसमें आगे जांच नहीं बढ़ाई। कई बार वह थाने में भी गए, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।

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