साहित्य की सेवा और नारी लेखन को प्रोत्साहन देना ही है डा. मलिक के जीवन का लक्ष्य

डा. कमलेश मलिक किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने जिले को भी देश-प्रदेश में अनूठी पहचान दी है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Jan 2022 07:27 PM (IST) Updated:Tue, 25 Jan 2022 07:27 PM (IST)
साहित्य की सेवा और नारी लेखन को प्रोत्साहन देना ही है डा. मलिक के जीवन का लक्ष्य
साहित्य की सेवा और नारी लेखन को प्रोत्साहन देना ही है डा. मलिक के जीवन का लक्ष्य

जागरण संवाददाता, सोनीपत : डा. कमलेश मलिक किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने जिले को भी देश-प्रदेश में अनूठी पहचान दी है। पिछले ही वर्ष उन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला रचनाकार का पुरस्कार भी मिला है। टीकाराम ग‌र्ल्स कालेज से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने साहित्य की सेवा और नारी लेखन को प्रोत्साहित करने को अपने जीवन का लक्ष्य ही बना लिया है। वे अदबी संगम, महिला काव्य मंच जैसी साहित्यिक संस्थाओं के जरिये इसे लगातार प्रोत्साहित भी कर रही हैं और युवा साहित्यकार की प्रेरणास्त्रोत भी हैं।

बचपन से ही लिखने का शौक रखने वाली पूर्व प्राचार्य डा. कमलेश मलिक का पहला कहानी संग्रह चक्रव्यूह 1998 में प्रकाशित हुआ था। इसके बाद से वे लगातार हरियाणवी व हिदी साहित्य पर पुस्तक लिख रही हैं। वर्ष 2000 में पुस्तक शंकर वेदांत व हरियाणा के संत साहित्य प्रकाशित हुआ। वर्ष 2008 में सिर्फ अपने लिए कहानी संग्रह प्रकाशित हुआ, जिसे वर्ष 2010 में सर्वश्रेष्ठ रचना का पुरस्कार मिला था। वर्ष 2011 में कविता संग्रह प्रकाशित हुआ। सितंबर, 2012 में संवेदना के स्वर प्रकाशित हुई। इसके साथ ही दर्जनों कहानी व कविताएं विभिन्न मैगजीन में प्रकाशित हो चुकी है। डा. मलिक अपने कार्यकाल में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण गतिविधियों में सक्रिय रही हैं। वह छह वर्षों तक दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, मुरथल में वूमैन सेल की सदस्य रहीं। वह भगत फूलसिंह महिला विश्वविद्यालय खानपुर में तीन वर्ष तक एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मेंबर भी रही हैं। आकाशवाणी रोहतक से कहानी वार्ता एवं कवि गोष्ठियों में उनकी सहभागिता रही है। एनआइसी दिल्ली द्वारा एमिनेंट सिटीजन अवार्ड, दैनिक जागरण द्वारा उत्तम नागरिक सम्मान, प्रज्ञा साहित्य मंच, साहित्य सभा कैथल, साहित्यायन ग्वालियर, साहित्य आगमन समूह नोएडा तथा रोटरी क्लब सोनीपत जैसी अनेक साहित्यिक व सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।

साहित्य के साथ ही समाज सेवा :

साहित्य के साथ ही समाज सेवा करना डा. कमलेश मलिक के जीवन में शुमार है। महिला शिक्षा को सबसे अहम मानने वाली डा. कमलेश मलिक ने सदैव नारी शिक्षा को समाज के उत्थान में सबसे अहम माना है। शहर के टीकाराम ग‌र्ल्स कालेज में लगातार 14 वर्ष तक प्राचार्य के पद पर रहने के दौरान सदैव लड़कियों को शिक्षित बनने के लिए प्रेरित किया। उनका मानना है कि नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सर्वप्रथम परिवार के स्तर पर ही प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। वे अपनी रचना के जरिये भी इस पर ही बल देती हैं। उनका मानना है कि साहित्य के जरिये भी समाज में बेहतर बदलाव लाया जा सकता है और इसके लिए वे लगातार संघर्ष कर रही हैं। डा. मलिक अंतरराष्ट्रीय समाजसेवी संस्था इन्नरव्हील के विभिन्न पदों पर रहते हुए गरीब लड़कियों को शिक्षित करने एवं महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। साथ ही गांवों व निम्न वर्ग की महिलाओं में जाकर अपनी वार्ताओं के माध्यम से उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागृत करने का काम कर रही हैं।

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