सरकार के कार्यो व नीतियों का सही पक्ष जनता के समक्ष लाना सबसे अहम : जैन

परिचय नाम : राजीव जैन पिता : स्व. सतपाल जैन शिक्षा : बीकॉम कार्य अनुभव : वर्ष 1986 में

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Apr 2018 03:00 AM (IST) Updated:Mon, 09 Apr 2018 03:00 AM (IST)
सरकार के कार्यो व नीतियों का सही पक्ष जनता के समक्ष लाना सबसे अहम : जैन
सरकार के कार्यो व नीतियों का सही पक्ष जनता के समक्ष लाना सबसे अहम : जैन

परिचय

नाम : राजीव जैन

पिता : स्व. सतपाल जैन

शिक्षा : बीकॉम

कार्य अनुभव : वर्ष 1986 में पत्रकारिता की शुरुआत करते हुए पाक्षिक पत्रिका निकाली। फिर वीर अर्जुन व दैनिक जागरण जैसे अखबार में काम किया और फिर 1994 में बंसीलाल द्वारा गठित हरियाणा विकास पार्टी में शामिल हुए। वर्ष 1996 से 1999 तक मुख्यमंत्री रहे बंसीलाल के मीडिया सलाहकार बने। वर्ष 2008 में भाजपा में शामिल हुए और उपाध्यक्ष एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी भी रहे। मुख्यमंत्री ने अपना नया मीडिया सलाहकार नियुक्त किया है। मीडिया सलाहकार की भूमिका सरकार में काफी महत्वपूर्ण होती है। मुख्यमंत्री के नवनियुक्त मीडिया सलाहकार राजीव जैन का कहना है कि सरकार की योजनाओं और मुख्यमंत्री को योजनाओं के क्रियान्वयन की सही जानकारी देने के साथ-साथ विपक्षी दलों द्वारा योजनाओं के नकारात्मक प्रचार पर अंकुश लगाने का काम भी वह करेंगे। उनका काम सरकार के कार्यो को लेकर मीडिया में आ रहे फीडबैक से मुख्यमंत्री को अवगत कराना है। उनकी प्राथमिकता मुख्यमंत्री और मीडिया के बीच सही तालमेल बिठाना है, ताकि सरकार के कार्यो व नीतियों का सही पक्ष जनता के समक्ष आ सके। मीडिया के दर्द को सरकार तक पहुंचाना भी सलाहकार का काम है। पिछली सरकार ने मीडिया कर्मियों के लिए पांच हजार रुपये मासिक की पेंशन योजना शुरू की थी, लेकिन इसकी प्रक्रिया इतनी जटिल थी कि किसी को इसका लाभ नहीं मिला। अब इसे सरल करते हुए पेंशन भी 10 हजार रुपये प्रतिमाह किया गया है। सरकार में मीडिया सलाहकार की भूमिका और उनके कार्य को लेकर दैनिक जागरण के मुख्य संवाददाता संजय निधि ने राजीव जैन से लंबी बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश : पहले पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी थे और अब मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार। दोनों की भूमिका में क्या अंतर है और किस तरह इसका फायदा आम लोगों व सरकार मिलेगा?

- पार्टी में होने के नाते कई बार योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर विभाग से जानकारी मिलने में दिक्कत होती थी या देरी होती थी। अब समय पर सारी जानकारी मिल सकेगी और इसका उपयोग विभिन्न चैनलों पर होने वाले डिबेट और समाचार पत्रों में सरकार के पक्ष को मजबूती से रखा जा सकेगा। मीडिया सलाहकार होने के नाते मुख्यमंत्री को भी सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन की जानकारी दी जा सकेगी। मुख्यमंत्री प्रदेश के सर्वेसर्वा होते हैं। ऐसे में उनके लिए मीडिया सलाहकार की क्या उपयोगिता है, जबकि सरकारी तौर पर लोक संपर्क विभाग काम करता ही है?

- मुख्यमंत्री की दिनचर्या काफी व्यस्त होती है। उनकी व्यस्त दिनचर्या के बीच विभिन्न संचार माध्यमों में निगेटिव या पॉजिटिव क्या चल रहा है, इसकी जानकारी उन तक पहुंचे और उनकी ओर से दी गई प्रतिक्रिया सही रूप में मीडिया में आए, यही काम मीडिया सलाहकार करता है। कहीं भी मुख्यमंत्री को अपनी बात रखने में परेशानी न हो और गलत तथ्य जनता में न जाए, इसका भी ध्यान रखना भी मीडिया सलाहकार का काम है। समय-समय पर विभिन्न संचार माध्यमों को मुख्यमंत्री के पक्ष की भी आवश्यकता पड़ती है, इसके लिए मीडिया सलाहकार कड़ी का काम करता है। आप 22 वर्ष पहले भी एक मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रह चुके हैं। उस वक्त और अब काम करने में कितना अंतर व चुनौती है?

- अब सलाहकार का रोल काफी बढ़ गया है। उस समय इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया नाम मात्र था। अब इसकी संख्या काफी ज्यादा है। लोगों को विभिन्न माध्यमों से 24 घंटे सूचनाएं मिलती रहती हैं। इसलिए सलाहकार को काफी अलर्ट रहने की आवश्यकता है। विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों का तुरंत जवाब देना भी जरूरी है, अन्यथा वे सही तथ्य को लोगों तक पहुंचने नहीं देते हैं। इसके लिए अब मीडिया सलाहकार को हर चीज की समग्र जानकारी भी होनी चाहिए। सरकारी योजनाओं व नीति के बारे में जनता की प्रतिक्रिया का विश्लेषण करना भी अब महत्वपूर्ण हो गया है। समाचार पत्रों व न्यूज चैनलों के अलावा अब सोशल मीडिया भी तेजी से सूचनाओं के आदान-प्रदान का माध्यम बनता जा रहा है। इसे किस रूप में देखते हैँ?

- सोशल मीडिया पर सूचनाओं का आदान-प्रदान ठीक है, लेकिन गलत व भ्रामक तथ्यों को जनता के सामने नहीं जाना चाहिए। न तो सरकार की तरफ से और न ही अन्य लोगों की ओर से। सोशल मीडिया आम लोगों को भी अपनी बात रखने का प्लेटफार्म बन गया है, जो ठीक है, लेकिन इसका इस्तेमाल गलत नहीं होना चाहिए। इस पर नजर रखने के लिए भी तंत्र विकसित किए गए हैं और उसे और सु²ढ़ किया जा रहा है। विपक्ष इन दिनों काफी हमलावर है। विशेष रूप से सोशल मीडिया के माध्यम से। क्या एक मीडिया सलाहकार होने के नाते सीएम के सोशल नेटवर्क को और ज्यादा सक्रिय करेंगे?

- विपक्षियों का तो काम ही सरकार की अच्छी व लोक कल्याणकारी नीतियों को गलत रूप में प्रचारित करना है। सोशल मीडिया पर ऐसे लोगों को काउंटर करने के लिए आइटी सेल कार्य करता है। आइटी सेल को लोक संपर्क विभाग सरकारी योजनाओं की सही जानकारी व आंकड़े देता है, जबकि पार्टी की ओर से प्रवक्ता उन्हें राजनीतिक इनपुट देते हैं। इसके बाद गलत तथ्यों को काउंटर करते हुए सही जानकारी सोशल प्लेटफार्म पर डाली जाती है। इस क्षेत्र में भी यदि मुख्यमंत्री चाहेंगे तो वह अपनी सक्रियता और बढ़ाएंगे। सोशल मीडिया पर अकसर आधी-अधूरी व भ्रामक जानकारी वायरल हो जाती है। इससे बचने के लिए सरकार की ओर से क्या कदम उठाए जाएंगे?

- वेब पोर्टल व अन्य सोशल प्लेटफार्म को भी न्यूज चैनल व अखबारों की तरह एक दायरे में लाने के लिए कोई नीति तैयार होनी चाहिए। सरकार इस ओर ध्यान दे रही है। इस माध्यम से अफवाह फैलाने व लोगों को उकसाने वालों पर तो कार्रवाई के लिए नियम हैं, लेकिन समाचार के लिए फिलहाल कोई नियम तय नहीं हैं। इस पर भी जल्द कार्य शुरू किए जाएंगे।

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