़फेसबुक, व्हाट्स एप्प पर सीखने के लिए कुछ नहीं

संवाद सहयोगी, डबवाली: उपमंडल न्यायिक दंडाधिकारी रितू ने बच्चों से कहा कि फेसबुक, व्हाट्

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Dec 2017 06:17 PM (IST) Updated:Mon, 25 Dec 2017 06:17 PM (IST)
़फेसबुक, व्हाट्स एप्प पर सीखने के लिए कुछ नहीं
़फेसबुक, व्हाट्स एप्प पर सीखने के लिए कुछ नहीं

संवाद सहयोगी, डबवाली:

उपमंडल न्यायिक दंडाधिकारी रितू ने बच्चों से कहा कि फेसबुक, व्हाट्स एप्प पर सीखने के लिए कुछ नहीं है। इसलिए ग्रेजुएशन तक इससे दूरी बनाए रखें। वे जो बनना चाहते हैं उसके लिए कड़ी मेहनत करें। पड़ोसी क्या है या मित्र क्या बनना चाहता है ये ना सोचें। ये भी ना सोचें कि आप।छोटे शहर से हैं। क्योंकि जो आपको पढ़ाई जाती हैं उन बुक्स से गुरुग्राम में बच्चों को पढ़ाया जाता है। इसलिए नियमित पढ़ाई करने की आदत डालें। पढ़ाई के साथ साथ अच्छा नागरिक बनने की पहल करें। वे बीएड कॉलेज में चल रही सुपर फिफ्टी क्लास के बच्चों से संवाद कर रही थीं।

बच्चों के सवालों का जवाब देते हुए उपमंडल न्यायिक अधिकारी ने कहा कि उसके माता-पिता उसे डॉक्टर बनाना चाहते थे। लेकिन उसकी साइंस कमजोर थी। उसने पेरेंट्स को समझाया वे मान गए। इसलिए 12वीं कॉमर्स से पास की। रोहतक स्थित एमडीयू से एलएलबी की। कुछ माह के लिए बैंक में जॉब की। लेकिन वह रास नहीं आई। आखिरकार न्याय व्यवस्था का हिस्सा बनी। पहली पो¨स्टग गुरुग्राम में हुई। काम का बोझ इतना था कि रात को 8 बजे तक काम किया। केस के फैसले करके लोगों को न्याय देना बहुत अच्छा लगता है। इस मौके पर शिक्षाविद आत्मा राम अरोड़ा, शशिकांत शर्मा तथा स्टाफ सदस्य मौजूद थे।

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