प्रकाश पर्व पर मोदी का तोहफा, किसानों में जश्न का माहौल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन कृषि सुधार कानूनों के वापस लेने की घोषणा से प्रकाश पर्व पर किसानों को बड़ा तोहफा दिया। प्रधानमंत्री के इस फैसले के बाद जिले में धरनास्थलों पर किसानों में जश्न का माहौल देखने को मिला।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 19 Nov 2021 07:26 PM (IST) Updated:Fri, 19 Nov 2021 07:26 PM (IST)
प्रकाश पर्व पर मोदी का तोहफा, किसानों में जश्न का माहौल
प्रकाश पर्व पर मोदी का तोहफा, किसानों में जश्न का माहौल

जागरण संवाददाता, रोहतक : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन कृषि सुधार कानूनों के वापस लेने की घोषणा से प्रकाश पर्व पर किसानों को बड़ा तोहफा दिया। प्रधानमंत्री के इस फैसले के बाद जिले में धरनास्थलों पर किसानों में जश्न का माहौल देखने को मिला। किसानों ने जहां प्रधानमंत्री का स्वागत किया, वहीं फसलों के एमएसपी की गारंटी देने की मांग भी उठाई। मकड़ौली टोल प्लाजा पर किसानों ने खुशी में लड्डू बांटे। इसी तरह मदीना टोल प्लाजा पर भी किसानों में खुशी का माहौल देखने को मिला।

मकड़ौली टोल प्लाजा पर धरना की अध्यक्षता कर रहे भारतीय किसान यूनियन गुरनाम सिंह चढूनी गुट के जिला प्रधान राजू मकड़ौली ने कहा कि केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों का वापस लिया है, इसका स्वागत करते हैं। यह किसानों के संघर्ष की जीत है। लेकिन जब तक फसलों पर एमएसपी की गारंटी का बिल नहीं लाया जाता, तब तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी। गांव घिलौड़ निवासी चेतराम ने कहा कि सरकार के फैसले से खुश हैं ,लेकिन वह चाहते हैं कि सरकार इसे लिखित रूप में दें। इतिहास में किसानों को आदोलन के लिए याद किया जाएगा किसान हमेशा से ही संघर्ष करते आए हैं ।

एमएसपी गारंटी को सुनिश्चित करे सरकार: टुटेजा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के ऐलान का स्वागत करते हुए आम आदमी पार्टी हरियाणा ने एमएसपी की गारंटी को सुनिश्चित करते हुए आंदोलन में जान कुर्बान करने वाले किसानों के आश्रितों को मुआवजा तथा नौकरी प्रदान किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि किसान लगातार एक वर्ष तक घर-परिवार व खेत छोड़कर धरने पर बैठे हैं। किसानों के स्वाभिमान की जीत, सरकार के अहंकार की हार : जयहिद

किसानों के सामने आखिरकार केंद्र सरकार ने घुटने टेक ही दिए और किसानों के स्वाभिमान की जीत हुई है। लेकिन अगर समय रहते तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला हो जाता, तो सैकड़ों किसानों की जान बच जाती। यह कहना है नवीन जयहिद का। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद प्रतिक्रिया दी है। साथ ही उनकी मांग है कि जिन लोगों ने इस किसान आंदोलन में अपनी जान गवाई हैं, उन्हें सरकार शहीद का दर्जा देकर आर्थिक सहायता प्रदान करें तथा परिवार को एक-एक सरकारी नौकरी भी दी जाए। जयहिद ने कहा कि अहंकार और स्वाभिमान की लड़ाई में आखिर किसानों का स्वाभिमान जीत ही गया। किसानों के त्याग तपस्या और बलिदान की हुई जीत: बीबी बतरा

कांग्रेस विधायक दल के चीफ व्हीप एवं विधायक भारत भूषण बतरा ने कहा कि कृषि कानूनों का वापस होना किसानों के त्याग तपस्या और बलिदान की जीत है। उन्होंने कहा कि आखिर अहंकार से भरी भाजपा सरकार को अपने काले कानून को वापस लेना ही पड़ा। उन्होंने कहा कि सैकड़ों किसानों के बलिदान के बाद जागी भाजपा सरकार ने भारी जनसमर्थन के दबाव में तीनों काले कानून वापस लेने का फैसला लिया है, यह किसानों की जीत है। इस जीत के लिए देश के किसान बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने पूरे संयमित तरीके से देश के इतिहास का इतना लंबा आंदोलन किया।

जनवादी महिला समिति किसानों को दी बधाई

जनवादी महिला समिति उन हजारों महिला किसानों व देश की आम जनता को भी बधाई देती है, जिन्होंने इस ऐतिहासिक संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया। जनवादी महिला समिति की राज्य अध्यक्ष उषा सरोहा और राज्य महासचिव सविता ने कहा कि किसान आंदोलन व संयुक्त किसान मोर्चा के एक साल से ज्यादा के अनथक व बेमिसाल संघर्ष ने मोदी सरकार को तीनों काले कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर किया है। जनवादी महिला समिति किसान आंदोलन के साथ रहने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराती है। वर्तमान स्थिति पर संयुक्त किसान मोर्चा का सुविचारित निर्णय होगा, संगठन उसका समर्थन करेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा के संघर्ष को मिली जीत : सुरेंद्र सिंह

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मा‌र्क्सवादी) के हरियाणा राज्य सचिव मंडल ने प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा पर संयुक्त किसान मोर्चा तथा संघर्षरत सभी किसानों को बधाई दी है। पार्टी राज्य सचिव सुरेंद्र सिंह ने यह आंदोलन एक साल से निरंतर चलते हुए दुनिया भर का सबसे लंबा आंदोलन बन गया। पिछले दस महीनों से तो सरकार ने आंदोलनरत किसानों के नेतृत्व से कोई वार्ता तक नहीं की। इन तमाम हथकंडों को विफल करते हुए किसान आंदोलन निरंतर मजबूत होता गया।

chat bot
आपका साथी