आधुनिक परिवेश में एक क्लिक पर मौजूद है किताबों की दुनिया

जागरण संवाददाता, रोहतक : किताबों का हमारे जीवन से बहुत गहरा नाता है। यह हमें हमारे

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 06:01 PM (IST) Updated:Thu, 20 Sep 2018 06:01 PM (IST)
आधुनिक परिवेश में एक क्लिक पर मौजूद है किताबों की दुनिया
आधुनिक परिवेश में एक क्लिक पर मौजूद है किताबों की दुनिया

जागरण संवाददाता, रोहतक : किताबों का हमारे जीवन से बहुत गहरा नाता है। यह हमें हमारे इतिहास वेद-पुराण, साहित्य आदि के बारे में बताती है।

किताबों के पन्नों के माध्यम से हम किसी घटना या किसी महान व्यक्ति से जुड़े अनजान पहलुओं का भेद खोलते हैं। आज के इस बदलते परिवेश में हर कोई टेक्नोलॉजी पर निर्भर होता जा रहा है। वक्त के बदलाव के साथ ही किताबों की उपलब्धता भी बदल गई। अब डिजिटाइजेशन के दौर में किताबें एक क्लिक पर मिल रही हैं। हालांकि दोनों माध्यमों की अपनी जरूरतें हैं और अलग उपभोक्ता भी। युवा पीढ़ी अब ऑनबुक स्टोर, ¨कडल, ई-बुक्स के बहुत सी ऐसी एप्लीकेशन और वेबसाइट प्रयोग कर रहे हैं। जो पलक झपकते ही आपकी पसंद और जरूरत के मुताबिक किताब के पन्ने खुल जाते हैं। वहीं युवाओं को टेक्नोलॉजी का भरपूर फायदा मिल रहा है पर आज भी पुस्तक प्रेमियों की कमी नहीं है। किताबें लंबे समय तक चलती हैं। अचानक से किसी प्रकाशन की किताब पढ़ने जरूरत पड़ती है, अब तो उसे खरीदने के लिए मार्केट जाने के बजाए युवा ऑनलाइन पर्चे¨जग कर सकते हैं।

पढ़ना जरूरी है चाहे माध्यम कोई भी हो

आइसी कालेज में ¨हदी विभाग की प्रो. आशा सहारण ने बताया कि आज के समय में हर किसी को बिना मेहनत किए। हर चीज जल्दी चाहिए। किताबों की बात की जाए, तो जो सहुलियत एक रियल किताब को पढ़ने में होती है। वह डिजिटल किताब में नहीं होती। वैसे युवा पीढ़ी डिजिटल मैगजीन,बुक्स, नोवल, रिसर्च पेपर आदि को पढ़ने वालों की संख्या बढ़ रही है। आजकल ¨कडल मैगजीन बच्चे खूब पसंद कर रहे हैं। मेरे खुद के बच्चे भी ¨कडल पर ही अपनी फेवरेट बुक्स पढ़ते हैं। माध्यम कैसा भी हो बच्चों को पढ़ने के लिए सुविधाजनक पठ्नीय सामग्री मिल चाहिए।

जरूरत के हिसाब से करते है किताबों चुनाव

छात्रा शिखा ने बताया कि मैं और मेरी सहेली अक्सर कोर्स का स्टडी मेटीरियल ढूंढने के लिए गूगल पर सर्च करते हैं। हम जो किताबें मार्केट से खरीदते हैं, वे लेखक के निजी अनुभवों पर होती हैं। इसलिए हम लोगों को किताबों पर ज्यादा विश्वास है। हां, जब कभी कोर्स का कोई मैटर मार्केट में नहीं मिलता, उस वक्त हम उसे ऑनलाइन सर्च कर लेते हैं। किताबें और ऑनलाइन बुक्स की जरूरतें दोनों अलग अलग है।

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