'रामायण जैसे ग्रंथों से प्रेरणा लेने की जरूरत'

जागरण संवाददाता, रोहतक : वाल्मीकि रामायण के ऐतिहासिक महत्व तथा भौगोलिक आयामों पर गहन मंथन करते हु

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Mar 2017 08:10 PM (IST) Updated:Mon, 27 Mar 2017 08:10 PM (IST)
'रामायण  जैसे ग्रंथों से प्रेरणा लेने की जरूरत'
'रामायण जैसे ग्रंथों से प्रेरणा लेने की जरूरत'

जागरण संवाददाता, रोहतक :

वाल्मीकि रामायण के ऐतिहासिक महत्व तथा भौगोलिक आयामों पर गहन मंथन करते हुए तथा वर्तमान कालखंड में वाल्मीकि रामायण की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए सोमवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (मदवि) के संस्कृत विभाग में आज-वाल्मीकि रामायण में उपलब्ध इतिहास एवं भूगोल विषय पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। दिल्ली विश्विविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर डा. रमेश भारद्वाज ने पारंपरिक दीप प्रज्वलन द्वारा संगोष्ठी का शुभारंभ किया।

प्रतिष्ठित विद्वान प्रो. रमेश भारद्वाज ने वाल्मीकि रामायण को कालजयी बताते हुए विद्यार्थियों को इस महान ग्रंथ से प्रेरणा लेने को कहा। उन्होंने विषय के पौराणिक महत्व को अपने सारगर्भित व्याख्यान में प्रस्तुत किया। संस्कृत विभाग के विशिष्ट सहायता कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने स्वागत भाषण दिया और संगोष्ठी की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। समापन सत्र में गुलजारी लाल नन्दा शोध केन्द्र निदेशक प्रो. रणवीर ¨सह के व्याख्यान सेहुआ। संगोष्ठी में गुजरात विश्वविद्यालय अहमदाबाद से प्रो. कमलेश कुमार, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से प्रो. सुधीर कुमार, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से प्रो. ललित गौड़ तथा प्रो. विभाग अग्रवाल ने शिरकत की।

हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. नरेश मिश्रा, संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सुधाकान्त भारद्वाज तथा प्रो. सुधा जैन, वनस्पतिशास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ. सुरेन्द्र यादव ने सक्रिय भागीदारी की। इस अवसर पर विभाग की अध्यक्षा प्रो. कृष्णा आचार्य वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. आशा, प्राध्यापक डॉ. सुनीता सैनी, श्रीभगवान सहित अन्य प्राध्यापकगण, शोधार्थीगण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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