'साम्राज्यवाद के खिलाफ आजीवन संघर्षशील रहे कास्त्रो'

जागरण संवाददाता, रोहतक : एसयूसीआइ कम्यूनिस्ट ने क्यूबाई समाजवाद के संस्थापक और साम्राज्यवाद के ख

By Edited By: Publish:Thu, 08 Dec 2016 01:00 AM (IST) Updated:Thu, 08 Dec 2016 01:00 AM (IST)
'साम्राज्यवाद के खिलाफ आजीवन संघर्षशील रहे कास्त्रो'

जागरण संवाददाता, रोहतक :

एसयूसीआइ कम्यूनिस्ट ने क्यूबाई समाजवाद के संस्थापक और साम्राज्यवाद के खिलाफ आजीवन संघर्षशील रहे अथक व अडिग महान योद्धा फिडेल कास्त्रो की याद में छोटूराम पार्क में स्मृति सभा की। पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। स्मृति सभा की अध्यक्षता का.अनूप ¨सह, सचिव रोहतक झज्जर जिला कमेटी ने की। मुख्य वक्ता का.सत्यवान सदस्य केंद्रीय कमेटी व सचिव हरियाणा राज्य कमेटी रहे। का. ईश्वर ¨सह राठी, सचिव सोनीपत जिला कमेटी अन्य वक्ता रहे। गत 25 नवंबर को 90 वर्ष की उम्र में कामरेड फिडेल कास्त्रो का निधन हो गया था।

क्यूबा व दुनिया की मेहनती जनता से उन्हें अथाह प्रेम था। छात्र जीवन से ही वे लुटेरे अमरीकी साम्राज्यवाद के पिट्ठू बतिस्ता के तानाशाही शासन के खिलाफ संघर्षरत रहे। उन्हें दो साल का कठोर कारावास से दंडित किया गया। जेल से बाहर आने पर लंबे गुरिल्ला संघर्ष के द्वारा 1959 में क्यूबा की क्रांति सफल की। अल्प समय में ही उन्होंने शत प्रतिशत साक्षरता, दुनिया में सबसे कम 1:1 शिशु मृत्यु दर, पूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं, गरीबी व बेरोजगारी का उन्मूलन, महिलाओं को सम्मानजनक जीवन व प्रफुल्लित जनतंत्र की उपलब्धि हासिल की। क्यूबा की क्रांति को उलटने के लिए अमरीकी साम्राज्यवाद ने फिडेल कास्त्रो की हत्या करने की साजिश रचीं व आर्थिक नाकेबंदी जारी रखी। लेकिन इन सबका मुकाबला जनता के अपार समर्थन के बलबूते किया। दुनिया में जहां कहीं भी साम्राज्यवाद ने छोटे व कमजोर देशों पर आक्रमण किए, वहीं क्यूबा ने खुद संकट में रहते हुए भी उन्हें भरपूर नैतिक, भौतिक सहायता व समर्थन दिया। नेलसेन मंडेला फिडेल कास्त्रो को प्रेरणादायी मानते थे। समाजवाद न रहने की कठिन स्थिति में भी उन्होंने क्यूबाई समाजवाद को कायम रखा। पूंजीवादी भूमंडलीकरण का उन्होंने विरोध जारी रखा। वे मा‌र्क्सवाद लेनिनवाद के प्रति समर्पित रहे।

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