थैलेसीमिया मामले में जांच के निर्देश

जागरण संवाददाता, रोहतक : लगत खून चढ़ाने के कारण थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को हुए हेपेटाइटिस-सी के मामले

By Edited By: Publish:Sun, 26 Apr 2015 09:51 PM (IST) Updated:Sun, 26 Apr 2015 09:51 PM (IST)
थैलेसीमिया मामले में जांच के निर्देश

जागरण संवाददाता, रोहतक : लगत खून चढ़ाने के कारण थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को हुए हेपेटाइटिस-सी के मामले को पीजीआइएमएस प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। इसको लेकर कार्यकारी निदेशक डॉ. रोहताश यादव ने थैलेसीमिया वार्ड का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने इस मामले में जांच के निर्देश दिए हैं। साथ ही संबंधित विभाग से सोमवार तक सारे रिकार्ड तलब किए हैं। इसके बाद हड़कंप की स्थिति है।

प्रदेश में पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, पीजीआइएमएस ही एक ऐसा संस्थान है जहां पर थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों का भी इलाज किया गया है। इसके तहत यहां पर करीब 300 बच्चों का रजिस्ट्रेशन कराया गया है। इसमें रोहतक के अलावा पानीपत, सोनीपत, करनाल, गुड़गांव, हिसार, भिवानी सहित अन्य राज्यों के भी मरीज आते हैं। सूत्रों की मानें तो इसमें से करीब 35 ऐसे बच्चे हैं जो हेपेटाइटिस सी बीमारी से भी ग्रसित हो गए हैं। इसके बाद ऐसे परिवारों पर एक और आफत आ गई है। उनके सामने लाखों रुपये खर्च कर हेपेटाइटिस सी यानी काले पीलिया के इलाज कराने का संकट आ गया है। एक महिला ने रोते हुए बताया कि एक तो पहले से ही दुख में थे और लाख रुपये कहां से लाएं। उधर, इस मामले को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से खुलासा किया तो पीजीआइ प्रशासन हरकत में आ गया। इसको लेकर कार्यकारी निर्देशक डॉ. रोहताश यादव ने शनिवार को थैलेसीमिया वार्ड का निरीक्षण किया। हालांकि छुट्टी होने के कारण मरीज या अधिकारी नहीं मिले। साथ ही चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय भी बंद था। इसको लेकर कोई ठोस हल नहीं निकल पाया गया। वैसे निदेशक डॉ. यादव ने जांच के निर्देश दे दिए हैं। साथ जी सभी पीड़ितों की डिटेल संबंधित विभाग से मांगी है।

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अगर थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को अन्य कोई बीमारियां हुई है तो इसमें ब्लड बैंक की कोई गलती नहीं है। वार्डों से जिस गु्रप के खून की मांग की जाती है उसको पूरी तरह से जांचने के बाद ही दिया जाता है। खून चढ़ाने के दौरान कोई क्या होता है, यह हमें नहीं मालूम।

डॉ. पीके गहलोत, विभागाध्यक्ष

मॉडल ब्लड बैंक, पीजीआइएमएस।

यहां पर प्रदेश के कोने-कोने से थैलेसीमिया के मरीज आते हैं। उनका पीजीआइ की तरफ से मुफ्त इलाज किया जाता है। हां, खून की गड़बड़ियों के कारण कुछ बच्चों में हेपेटाइटिस के लक्षण पाए गए हैं। उनका इलाज चल रहा है। कुछ बच्चों में एचआइवी के मामले बहुत पहले आए थे। वैसे पीजीआइएमएस के निदेशक डॉ. रोहताश यादव की तरफ से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। हमने भी मुख्यमंत्री से सहयोग के लिए पत्र खिला है।

-राज कुमार, संस्थापक

हरियाणा थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी।

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थैलेसीमिया के मरीज तो पहले से ही बहुत परेशान होते हैं, ऐसे में अगर लापरवाही के कारण कोई और बीमारी हो जाती है तो यह बहुत ही गंभीर मामला है। इसको लेकर संबंधित विभाग से सारे रिकार्ड मंगाकर जांच कराई जाएगी। रही बात हेपेटाइटिस-सी के इलाज में लाखों रुपये खर्च की तो, परिजन हमसे आकर मिले। उनकी समस्याओं का जरूर निदान किया जाएगा।

-डॉ. रोहताश यादव, कार्यकारी निदेशक, पीजीआइएमएस, रोहतक।

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