पीजीआइ में खुलेगा हीमोफीलिया डे केयर सेंटर

By Edited By: Publish:Thu, 17 Apr 2014 01:21 AM (IST) Updated:Thu, 17 Apr 2014 01:21 AM (IST)
पीजीआइ में खुलेगा हीमोफीलिया डे केयर सेंटर

जागरण संवाददाता, रोहतक : बच्चों में बढ़ रही हीमोफीलिया की बीमारी को देखते हुए पीजीआइएमएस में हीमोफीलिया डे केयर सेंटर बनाया जाएगा। आपातकालीन विभाग के साथ ही इसके लिए जगह चिन्हित कर ली गई है। आगामी दो माह में यह सेंटर शुरू हो जाएगा। इससे पहले, प्रबंधन की ओर से बीमारी से पीड़ित बच्चों के रजिस्ट्रेशन का कार्य शुरू कर दिया है और बकायदा इसके लिए नर्स व डॉक्टर तैनात कर दिए गए हैं।

यदि किसी भी बच्चे को नीले दाग पड़ते है, जोड़ सूज जाते है या जाम हो जाते है तो उसे सामान्य न लेकर गंभीरता से लें और तुरंत हीमोफीलिया की जाच कराएं। हीमोफिलिया ऐसी बीमारी है जो काफी दर्दनाक है। वैसे यह बीमारी आनुवांशिक है और लड़कों में होती है। हीमोफिलिया की बीमारी यदि पिता को है और मा को नहीं तो उनकी पैदा होने वाली संतानों में लड़कों को यह बीमारी नहीं होती, जबकि लड़किया इसकी कैरियर बन जाती है।

भारत में लगभग एक लाख बीस हजार हीमोफिलिया के मरीज है। वहीं हरियाणा की बात करें तो यहां भी यह बीमारी बढ़ रही है। वर्ष 2011 में पीजीआइ के सेंटर में 55 रजिस्ट्रेशन थे, जबकि वर्ष 2012 में 108 और अब इनकी संख्या 400 के पार जा चुकी है। हालांकि, वास्तविक आंकड़े इससे ज्यादा हैं।

यह हैं कारण : यदि किसी बच्चे के दांत निकलवाने के बाद खून बंद नहीं होता, कहीं कट लग जाने पर खून नहीं रुकता या जोड़ों में दर्द की शिकायत जैसे लक्षण नजर आते है, तो हमें इस हल्के मे ना लेकर तुरत हीमोफिलिया की जाच करवानी चाहिए। संस्थान में हीमोफिलिया की बीमारी की जाच मुफ्त की जाती है और इसके ईलाज के लिए संस्थान में उपकरण, प्रशिक्षित स्टाफ, चिकित्सक एवं फैक्टर उपलब्ध है।

जागरूकता जरूरी : डॉ. गठवाला

बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गीता गठवाला ने बताया कि यह एक आनुवाशिक बीमारी है। लोगों को जागरूक करना जरूरी है। हरियाणा सरकार द्वारा पीजीआई में हीमोफीलिया के मरीजों के लिए नोडल सैंटर बनाया गया है, जिसमें फैक्टर 8 व 9 उपलब्ध करवाया जा रहा है। इस बीमारी का इलाज बहुत महंगा है और इसके लिए अक्टूबर 2012 से हरियाणा सरकार द्वारा संशोधित हीमोफीलिया नीति के तहत पाच जिलों के अस्पताल लिए गए है, जिसका नोडल सेंटर पीजीआइएमएस रोहतक को बनाया गया है। संस्थान में बच्चों के लिए फैक्टर उपलब्ध हैं और सुचारू रूप से बीमारी का इलाज किया जाता है।

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प्रदेश सरकार को भेजा प्रस्ताव : डॉ. ढुल

इस बारे में पीजीआइएमएस के निदेशक डॉ. चांद सिंह ढुल ने बताया कि इसके लिए प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है। मरीजों को आपात इलाज के लिए हीमोफीलिया डे केयर स्थापित करेंगे। संस्थान के पास फेक्टर-8 व 9 हैं और आ रहे मरीजों को दिए जा रहे हैं। इस बीमारी पर शोध व अन्य जरूरतों के लिए प्रदेश सरकार से अलग से ग्रांट की मांग की गई है, ताकि पीड़ितों को जल्द इलाज मिल सके।

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