मंच पर बिखेरी बचपन की झंकार

महिला काव्य मंच की ओर से डिजिटल काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 08:26 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 08:26 PM (IST)
मंच पर बिखेरी बचपन की झंकार
मंच पर बिखेरी बचपन की झंकार

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : महिला काव्य मंच की ओर से डिजिटल काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। बचपन की झंकार विषय पर आयोजित आनलाइन गोष्ठी की अध्यक्षता मंच की प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष इंदू राज निगम ने की। वरिष्ठ कवि हलचल हरियाणवी व राजेंद्र निगम ने अपनी रचनाओं से उत्साह वर्धन किया। इकाई उपाध्यक्ष आशा रानी ने गोष्ठी का संयोजन किया। आशा रानी व सचिव कल्याणी राजपूत के संचालन में गोष्ठी हुई। हलचल हरियाणवी ने बच्चों को पौधे लगाने का संदेश देते हुए कहा कि यदि तुम आम लगाओगे, दो गुना लाभ कमाओगे। मीठे आम तो खा लेना, गुठली के दाम उठाओगे। इंदू राज निगम ने साथ-साथ झूला झूलेंगे, फिर गुड्डे गुड़िया खेलेंगे, गाएंगे हम गीत अटपटे, तुम नटखट संगीत बजाना से तालियां बटोरी। राजेंद्र राज निगम ने बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि दीन-दुखी को तुम अपनाना, नहीं परिश्रम से घबराना। सबसे आगे निकलो लेकिन, गिरे हुए को सदा उठाना। आशा रानी ने कामकाजी महिलाओं की अपने बच्चों को समय नहीं दे पाने की पीड़ा को कुछ यूं व्यक्त किया 'तेरा घड़ी को देखना, पर कुछ समझ ना पाना। वो टिक-टिक करके सूई का, कई बार घूम जाना।' इसी प्रकार अन्य काव्य-झलकियों में कल्याण राजपूत ने जग की सारी खुशियां ले लो, पर लौटा दो बचपन मेरा पर तालियां बजीं तो दर्शना शर्मा द्वारा बचपन की झंकार कहां अब, भूल गए बच्चे किलकारी, खुशबू सिंहल ने जिससे बनती होठों पर मुस्कान है, हां, मुझे मेरे बचपन से प्यार है, खूब सराही गई। मुकुट अग्रवाल ने जब हम छोटे बच्चे थे, दिल के कितने सच्चे थे। दुनिया से अनजाने थे, फिर भी कितने अच्छे थे, पर समां बंधा। इसी प्रकार करिश्मा गुप्ता ने जब जिदगी आसान थी, अंजलि शर्मा ने मेरा बचपन मेरी यादों में लौट कर आ रहा है, मेरा बचपन मुझे याद आ रहा है ने माहौल भावुक किया। सुधा यादव की प्रस्तुति बीत गया बचपन का वसंत, कहां से लाऊं वो रंगत पर तालियां बजीं।

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