Gurugram News: गुरुग्राम-बावल मेट्रो के लिए अभी करना होगा लंबा इंतजार, भूमि अधिग्रहण के बाद भी MRTS में फंसा पेंच

Rewari News भूमि अधिग्रहण के बाद भी MRTS परियोजना पर सालों से कोई काम नहीं हुआ है। चार साल से किसानों के बने हुए स्ट्रक्चर का मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है। RRTS और MRTS दोनों ही परियोजनाओं पर सरकारी मशीनरी आगे नहीं बढ़ पा रही है।

By Aditi ChoudharyEdited By: Publish:Mon, 12 Sep 2022 04:02 PM (IST) Updated:Mon, 12 Sep 2022 04:02 PM (IST)
Gurugram News:  गुरुग्राम-बावल मेट्रो के लिए अभी करना होगा लंबा इंतजार, भूमि अधिग्रहण के बाद भी MRTS में फंसा पेंच
भूमि अधिग्रहण के बाद भी MRTS में फंसा पेंच, गुरुग्राम-बावल के बीच मेट्रो के लिए करना होगा लंबा इंतजार

रेवाड़ी [अमित सैनी]। गुरुग्राम से बावल के बीच मेट्रो परिचालन के लिए लोगों को अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा। क्योंकि प्रस्तावित मास रेपिड ट्रांजिट सिस्टम (MRTS) की रफ्तार पर एक बार फिर से ब्रेक लगता हुआ नजर आ रहा है। भूमि अधिग्रहण के बाद भी एमआरटीएस परियोजना पर सालों से कोई काम नहीं हो रहा है। इतना ही नहीं चार साल से तो किसानों के बने हुए स्ट्रक्चर का मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है। रेपिड रीजनल ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) और मास रेपिड ट्रांजिट सिस्टम (MRTS) दोनों ही परियोजनाओं पर सरकारी मशीनरी आगे नहीं बढ़ पा रही है जिसके चलते भविष्य के सुनहरे सपनों पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है।

5 साल पहले मेट्रो का काम पूरा करने का था लक्ष्य

प्रदेश में वर्ष 2012 में गुरुग्राम-मानेसर-धारूहेड़ा-बावल तक एमआरटीएस प्रोजेक्ट को स्वीकृत किया गया था। जमीन अधिग्रहण के लिए प्रदेश सरकार ने हरियाणा राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (HSIIDC) को नोडल एजेंसी बनाया था। HSIIDC ने ही जमीन का अधिग्रहण करके MRTS को दी है। पूर्व निर्धारित प्रोजेक्ट के अनुसार वर्ष 2017 में ही इस रूट पर मेट्रो दौड़ जानी चाहिए थी लेकिन हैरानी इस बात की है कि आजतक एक ईंट नहीं लगी है।

2018 से स्ट्रक्चर का मुआवजा मांग रहे किसान

सरकार की तरफ से जमीन अधिग्रहित करके 120 करोड़ रुपये रेवाड़ी जिले के किसानों को दिए जा चुके हैं लेकिन उनकी जमीन पर बने हुए स्ट्रक्चर का मुआवजा आजतक भी नहीं दिया गया है। किसान वर्ष 2018 से अपनी जमीन पर बने स्ट्रक्चर का मुआवजा मांग रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अफवाह तो यहां तक उड़ाई जा रही है कि इस प्रोजेक्ट को डी नोटिफाई किया जा सकता है लेकिन आधिकारिक तौर पर ऐसा कोई नहीं बोल रहा है।

201 करोड़ में से 120 करोड़ का ही हुआ भुगतान

एमआरटीएस परियोजना के लिए रेवाड़ी जिला के किसानों को 201 करोड़ 53 लाख 62 हजार 130 रुपये का भुगतान किया जाना है। वहीं सरकार की ओर से अभी तक 120 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया गया है। 81 करोड़, 53 लाख, 62 हजार 130 रुपये का भुगतान किया जाना अभी बाकी है। क्षेत्र के किसान लगातार अपने मुआवजे के लिए प्रशासन के पास चक्कर लगा रहे हैं। जिला राजस्व अधिकारी ने इसी साल मार्च माह में एचएसआइआइडीसी के प्रबंध निदेशक को पत्र भेजकर सूचित भी किया था कि शीघ्र ही जमीन की बची हुई मुआवजा राशि भिजवाई जाए लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।

रेपिड रीजनल ट्रांजिट सिस्टम की भी थमी है रफ्तार

त्वरित मेट्रो के लिए प्रस्तावित रेपिड रीजनल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) परियोजना और एमआरटीएस पूरी तरह अलग-अलग हैं। आरआरटीएस कारीडोर दिल्ली से अलवर के बीच प्रस्तावित है। आरआरटीएस में जहां 19 स्टेशन हैं, वहीं एमआरटीएस में गुरुग्राम से बावल तक ही लगभग 50 स्टेशन बनने प्रस्तावित है। एमआरटीएस की परिकल्पना मानेसर बावल इंवेस्टमेंट रीजन को ध्यान में रखकर की गई थी। भविष्य के इस शहर में लोगों को यातायात के बेहतर साधन मिले इसके लिए इस मेट्रो प्रोजेक्ट को बनाया गया था लेकिन अब काम आगे ही नहीं बढ़ रहा है।

मंत्री ने समस्या का समाधान का दिया आश्वासन

इस मामले को लेकर हरियाणा सरकार में सहकारिता मंत्री डा. बनवारीलाल ने कहा कि एमआरटीएस मामला मेरे संज्ञान में हाल ही में आया है। इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी. उमाशंकर से सोमवार को बातचीत करुंगा। इस प्रोजेक्ट को लेकर सरकार क्या कर रही है यह बातचीत के बाद ही साफ हो पाएगा। किसानों की मुआवजे संबंधित समस्या का समाधान कराने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जाएंगे।

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