बेटे ने खराब कर दी परिवार की इज्जत

कर्जा लेकर 10 खेत पट्टे पर लिए थे, लेकिन अब संभालने वाला कोई नहीं है। पिता बीमार है, लेकिन कोई डॉक्टर के पास ले जाने वाला नहीं है। रिश्तेदार तो क्या पड़ोसियों तक ने मुंह मोड़ लिया है। बेटे ने हमारी खेती और इज्जत दोनों खराब कर दी है। घर से महेंद्रगढ़ कॉलेज में जाने का नाम लेकर गया था पर पता नहीं कहां चला गया। यह कहना है सामूहिक दुष्कर्म मामले में आरोपित मनीष की मां का।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Sep 2018 06:49 PM (IST) Updated:Tue, 18 Sep 2018 06:49 PM (IST)
बेटे ने खराब कर दी परिवार की इज्जत
बेटे ने खराब कर दी परिवार की इज्जत

सुनील कुमार, कोसली (रेवाड़ी)

कर्जा लेकर 10 खेत पट्टे पर लिए थे, लेकिन अब संभालने वाला कोई नहीं है। पिता बीमार हैं, लेकिन कोई डॉक्टर के पास ले जाने वाला नहीं है। रिश्तेदार तो क्या पड़ोसियों तक ने मुंह मोड़ लिया है। बेटे ने हमारी खेती और इज्जत दोनों खराब कर दी है। घर से महेंद्रगढ़ कॉलेज में जाने का नाम लेकर गया था पर पता नहीं कहां चला गया। यह कहना है सामूहिक दुष्कर्म मामले में आरोपित मनीष की मां का।

जागरण ने जरा सा कुरेदा तो आरोपित की मां सुबक पड़ी। कहने लगी, बेटा जब रात को घर नहीं आया तब ¨चता बढ़ी। आस-पड़ोस के लोगों ने कुछ बताया। इस बीच पुलिस की गाड़ियों की लाइन लग गई। पुलिस रिश्तेदारों तक को थाने ले गई। बेटे की करतूत से सारे रिश्तेदार, पड़ोसी व घर के लोग परेशान हैं। ठेठ देहाती में बोली, 'अगर वह मिल जाय तो म्हारी भी गैल छूट जाय।'

यह कहते-कहते मनीष की मां भावुक हो गई। गला रुंधने लग गया और आवाज खुद ब खुद थर्राने लग गई। कुछ देर बाद सामान्य हुई तो कहने लगी, 'बेटा नै तो कतई माटी खराब कर दी म्हारी। घर की इज्जत कै बट्टा लगा दिया। बेटी भी ब्याहणी है।'

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इनसेट:

नानी बोली खैण नै के बच्यो है अब

मुख्य आरोपितों में से एक पंकज के घर पर सन्नाटा है। बस नानी है जो घर की देखभाल कर रही है। जागरण ने बात शुरू की तो कहने लगी, 'अब कहण नै के बच्यो है। ¨जदगी में दुख तो बेटा बहोत देख्या है पर दोहते नै तो इतना बड़ा दुख दे दिया कि खैण की बात ना रही। जै भाई मन्नै बेरा लाग जा तो उसनै ले आऊं। सारा काम घर का ठीक था। नौकरी भी मिलगी थी। फेर बी पता ना के अकल पै भाटा पड़ग्या।' आरोपित की अस्सी वर्षीय नानी ठीक से चल फिर भी नहीं पाती, लेकिन घर में बंधी गाय व भैंस को पानी पिलाने व चारा डालने तक का काम इन दिनों हिम्मत जुटाकर खुद करती हैं। कहने लगी, इन बेजुबान पशुओं ने क्या बिगाड़ा है। इनकी देखरेख के लिए यहां आ गई। पूरा दिन कभी पुलिस तो कभी कोई कभी कोई आता रहता है। घर में आते हैं, बाते करते हैं और चले जाते हैं।

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